जमीन समतल करने जब डाली जा रही थी राखड़ तब जिम्मेदारों ने मूंद ली थी आंखे, गर्मी में डम्प की थी अब तुर्रीधाम के नाले में बह रही

0 भक्तों के लिए हनिकारक साबित हो सकती है डाली गई राखड़
सक्ती- ग्राम तुर्रीधाम के नाले में बहने वाला पानी इन दिनों काफी दूषित हो गया है। इसके लए जिम्मेदार कोई और नहीं बल्कि गांव की सरकार ही है। समय रहते जब इसकी शिकायत हुई तो इस ओर किसी भी प्रकार का ध्यान नहीं दिया गया। बल्कि पथरीली, उबड़-खाबड़ जमीन में राखड़ डालने वालों को संरक्षण दे दिया गया। इसका परिणाम यह है कि जहां पर बहुतायत मात्रा में राखड़ डाल कर जमीन को लेबल किया गया था, वह बारिश की वजह से बह कर नाले में जा रहा है। जिससे तुर्रीधाम मंदिर के सामने से बहने वाले इस नाले का पूरा पानी दूषित हो गया है। कुछ माह पूर्व ही काफी मात्रा में राखड़ मंदिर के आसपास डम्प किया गया था।

सावन में भक्त लगाते हैं डूबकी-
सावन के महीने में लगने वाले मेले में राज्य ही नहीं बल्कि ओडिशा से भी काफी संख्या में कांवड़िए आते हैं। भक्तों का तांता लगा रहता है। सभी यहां बहने वाले पानी में डुबकी लगाते हैं। इतना ही नहीं कई बार तो इस पानी का पीने के लिए भी उपयोग किया जाता है। विदित हो कि तुर्रीधाम अंचल का सुप्रसिद्ध बाबा शिव जी का धाम होने के कारण लाखों भक्त दर्शन करने आते हैं। राखड़ का पानी में मिलने से काफी नुकसान लोगों को झेलना पड़ सकता है।
क्या होती है राखड़ और क्यों है यह बेहद हानिकारक-

राखड़ वह राख होती है, जो कोयले के जलाये जाने के बाद निकलती है। राखड़ पॉवडर की तरह होती है, जो पावर प्लांट की फरनेस के निचले भाग में एकत्र हो जाती है। इस राखड़ में आर्सेनिक, पारा यानी मरकरी, सीसा यानी लेड, वैनेडियम, थैलियम, मॉलीबेडनम, कोबाल्ट, मैंगनीज़, बेरीलियम, बेरियम, एंटीमनी, एल्युमिनियम, निकेल, क्लोरीन और बोरोन जैसे तत्व पाये जाते हैं। इन्वॉरेंटल प्रोटेक्शन एजेंसी ईपीए की रिपोर्ट के अनुसार राखड़ में से अधिकांश तत्व हेवी मेटल यानी भारी धातु हैं, जिनकी जद में निरंतर आने पर किसी भी व्यक्ति को कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी हो सकती है। यानी ऐशपॉन्ड के आस-पास रहने वाले लोगों को हमेशा गंभीर बीमारियों का खतरा बना रहता है।
