13 लाख 84 हजार क्विंटल धान केंद्रों में जाम, उठाव के मामले में पिछड़ता जिला और बेपरवाह प्रशासन

– कई केंद्र ऐसे जो डीओ के इंतजार में, 30-30 हजार क्विंटल धान जाम वाले 4 केंद्र
सक्ती– समर्थन मूल्य पर धान खरीदी समाप्त होने के 12 दिनों बाद लाखों क्विंटल धान उठाव कार्य अत्यंत धीमा होने के कारण खुले आसमान के नीचे पड़ा हुआ है। विगत दो दिनों से मौसम का मिजाज भी बदला हुआ नजर आ रहा है। कई केन्द्रों में बीस हजार क्विंटल से अधिक धान का अंबार लगा हुआ है। उठाव की गति अभी बहुत धीमी है, जिससे बिगड़े मौसम में धानों की सुरक्षा को लेकर प्रशासन की भी चिंता बढ़ गई है। हालांकि धान को भीगने से बचाने के लिए तिरपाल, कैप कव्हर लगाए जा रहे हैं। इसके बावजूद सबसे नीचे रखे गए धानों के भीगने का खतरा बना रहता है। विगत दिनों प्रभारियों ने भी एक दिवसीय धरना प्रदर्शन कर धान उठाव की ओर ध्यान देने की मांग की थी। लेकिन इसका कोई खासा प्रभाव प्रशासन पर पड़ता हुआ दिखाई नहीं दिया।
गौरतलब है कि धान खरीदी वर्ष 2023-24 में जिले में 32 लाख 36 हजार क्विंटल धान की खरीदी 125 उपार्जन केंद्रों के माध्यम से की गई थी। सक्ती जिले में अभी तक 37 लाख 90 हजार 330 क्विंटल धान का ही उठाव हो सका है। जबकि 13 लाख 84 हजार 425 क्विंटल धान केंद्रों में जाम पड़ा हुआ है। उठाव की गति सक्ती जिले में अत्यंत धीमी होने की वजह से प्रभारियों के माथे पर बढ़ते दिनों के साथ चिंता की लकीरें और गहरी होती जा रहीं हैं। धान खरीदी प्रभारियों ने बताया कि उठाव नहीं होने का खामियाजा भुगतना पड़ेगा। चूहें और सूखत से समिति को नुकसान हो सकता है। शून्य प्रतिशत शॉर्टेज का लक्ष्य ऐसी स्थिति में प्राप्त करना मुश्किल हो जाएगा।
धान उठाव में पिछड़ा सक्ती जिला-
धान उठाव के मामले में सक्ती जिला पिछड़ा हुआ है। अन्य जिलों की तुलना में यहां उठाव काफी धीमी गति से हो रहा है। सक्ती जिले के कई केंद्र ऐसे हैं जहां 30 हजार क्विंटल से अधिक धान पड़े हुए हैं। सक्ती के अंतर्गत आने वाले देवरमाल में 38 हजार क्विंटल धान रखा हुआ है। दो दिनों से बदले मौसम के मिजाज के कारण यहां धान को बचाने के लिए काफी जद्दोजहद करनी पड़ रही है। यहां किसी प्रकार का न तो चबुतरा बना हुआ है और न ही कोई पुख्ता इंतजाम है कि इतने धान को बारिश से किस प्रकार बचाया जाए। जिले में ऐसे ही और भी कई केंद्र हैं जहां धान खुले आसमान के नीचे पड़ा हुआ है। कुल मिलाकर सक्ती जिला धान उठाव के मामले में काफी पिछड़ा हुआ है।
17 केंद्रों में बीस-बीस हजार क्विंटल से अधिक धान पड़े हैं-
जिले के धान उपार्जन केंद्र देवरमाल, अमलडीहा, कोटमी डभरा, सिरियागढ़, मड़वा, डभरा, सपोस, पिहरीद, जर्वे, ओड़ेकेरा, हसौद, जैजैपुर, देवरघटा, दर्री, बरपाली, कुटराबोड़, किकिरदा ये ऐसे केंद्र हैं जहां 20 हजार क्विंटल से अधिक धान जाम पड़ा हुआ है। इनमें सबसे अधिक धान सक्ती के देवरमाल में हैं जहां 37 हजार 749 क्विंटल धान जाम पड़ा हुआ है।