
जिलेवासियों की उम्मीदों को पंख लगाने शासन और प्रशासन दोनों के संयुक्त प्रयास की है आवश्यकता
सक्ती- जिला अब दो वर्ष का हो गया है। दो वर्षों में जो विकास की रफ्तार दिखाई देनी थी वह तो नहीं दिखी लेकिन जिले की प्रगति में कुछ अध्याय ऐसे जुड़े जो इतिहास के पन्नें में दर्ज हो गए हैं। दो सालों में सक्ती में कई बदलाव हुए उतार चढ़ाव के दौर देखते हुए यह जिला आगे बढ़ रहा है। 15 अगस्त 2021 को तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की घोषणा के बाद 09 सिंतबर 2022 को सक्ती जिला अस्तित्व में आ गया। अब इसे दो वर्ष हो चुके हैं जिले के विकास को पंख लगाने की जवाबदारी अब भारतीय जनता पार्टी की सरकार की है। जिलेवासियों को अपार उम्मीदें हैं की सक्ती जिला विकास के नए सोपान स्थापित करेगा।

लंबे संघर्ष के बाद सक्ती को बनाया गया नया जिला
शैक्षणिक जिला का दर्जा प्राप्त सक्ती को जिला बनाने की लंबे समय से मांग चल रही थी। सक्ती विधानसभा क्षेत्र के लोगों को जिला मुख्यालय जांजगीर पहुंचने में बड़ी परेशानी हो रही थी और विकास की दृष्टि से सक्ती समते कुछ अन्य ब्लॉक निरंतर पिछड़ रहे थे। नतीजन सक्ती परिक्षेत्र के लोगों ने सक्ती को जांजगीर चांपा से अलग कर जिला बनाने की मांग रखी और इसके लिए लगातार संघर्ष करते रहे। जनप्रतिनिधियों द्वारा सरकार के समक्ष लगातार प्रस्ताव रखा गया कि सक्ती में मालखरौदा, जैजैपुर, चंद्रपुर और डभरा तहसील को शामिल कर नया जिला बनाया जाए। लोगों के संघर्ष और जनप्रतिनिधियों की निरंतर मांग को देखते हुए अंततः सक्ती को एक नया जिला बनाया गया।
कांग्रेस शासनकाल में सक्ती जिले का गठन, संवारने की जिम्मेदारी भाजपाइयों की-
ज्ञात हो कि जब सक्ती एक नया जिला के रूप में अस्तित्व में आया तो छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार थी, भूपेश बघेल छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री थे जिन्होंने स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त 2021 के दिन सक्ती को जिला बनाने की घोषणा की और 9 सितंबर 2022 को सक्ती को एक नया जिला का दर्जा दिया गया। वर्तमान में छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार है और सक्ती जिला के विकास की पूरी जिम्मेदारी भाजपाइयों के हाथों में है। जिला में आज भी ऐसे दर्जन भर से ज्यादा गांव हैं जहां के लोग मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं। लोगों की माने तो नया जिला बनने के बाद सक्ती जिला का जितना विकास होना चाहिए था उतना विकास नहीं हो पाया है। सक्ती के चहुंमुखी विकास के लिए भाजपाइयों के भगीरथ प्रयास की आवश्यकता है।

2 साल में सक्ती जिले ने देखे दो कलेक्टर और दो एसपी-
सक्ती जिला के गठन को आज 2 साल पूरा हो गया है सक्ती जिलावासियों ने 2 साल में दो कलेक्टर व दो एसपी देखे हैं। सक्ती जिले के प्रथम कलेक्टर बनने का सौभाग्य नूपुर राशि पन्ना को प्राप्त हुआ था। जिला की पहले कलेक्टर रहने के दौरान उन्होनें सराहनीय कार्य किया। सकरेली बा. का आरओबी प्रारंभ करवाने में उन्होनें अथक प्रयास किया। वहीं एम. आर. अहिरे जिले के पहले एसपी थे जिन्होंने जिले को नया रूप देने पुरजोर कार्य किया। पुलिस सेटअप बनाने में उनका अहम योगदान रहा है। वर्तमान कलेक्टर के रूप में अमृत विकास तोपनो अपनी सेवा दे रहे हैं। वहीं आईपीएस अंकिता शर्मा पुलिस अधीक्षक के रूप में कार्य कर रहीं है। उन्हें गैर कानूनी कार्य करने वालों पर बेहतरीन कार्य करने के लिए जाना जाता है।
जिले का गौरव हैं ये पर्यटन स्थल-
सक्ती जिले के अलग-अलग क्षेत्रों में लगभग पांच पर्यटन स्थल है। महानदी तट पर स्थित चंद्रपुर सक्ती का पहला पर्यटन स्थल है, महानदी के तट पर चंद्रहासिनी देवी माता का अद्भुत मंदिर है। जहां नवरात्रि के समय भव्य मेला का आयोजन किया जाता है। यहां अन्य राज्यों जैसे उड़ीसा के लोग भी नवरात्रि के समय माता चंद्रहासिनी के दर्शन के लिए यहां आते हैं। इसके अलावा दमाऊधारा जिले का दूसरा पर्यटन स्थल है जो ब्लॉक मुख्यालय सक्ती से 20 किलोमीटर दूर कोरबा मार्ग में स्थित है। यह स्थान पर्यटकों के लिए आकर्षण का केन्द्र हैं यहॉ एक ओर प्राकृतिक पानी का जल प्रपात, गुफाएं रामजानकी मंदिर, राधाकृष्ण मंदिर, ऋषभ देव मंदिर इत्यादि है। इसके पास ही अन्य पर्यटन स्थलों पंचवटी, सीतामणी आदि आकर्षित करने वाले पर्यटन स्थल है।

प्राचीन मंदिर मां अष्टभुजी की पहचान दूर-दूर तक-
अड़भार भी पर्यटन स्थल में से एक है यहां मां अष्टभुजी का प्राचीन मंदिर है। इतिहास में अड़भार का उल्लेख अष्ट द्वार के रूप में मिलता है। मां अष्टभुजी आठ भुजाओं वाली हैं। नवरात्रि के अवसर पर यहां ज्योति क्लास जलाया जाता है और पूजा अर्चना की जाती है। इसी प्रकार तुर्रीधाम जिला का तीसरा पर्यटन स्थल माना जाता है जहां भगवान शिव जी का मंदिर है। महाशिवरात्रि के अवसर पर हर साल तीन दिनों का भव्य मेला आयोजित किया जाता है। इसी प्रकार हसौद को मां महामाया का पावन नगरी कहा जाता है जो जिले का पांचवा पर्यटन स्थल है यहां नवरात्रि के पर्व पर विशेष पूजा अर्चना कर जोत जलाई जाती है। हजारों की संख्या में श्रद्धालु मां महामाई के दर्शन के लिए यहां पहुंचते हैं और मनवांछित फल की कामना करते हैं। ये सभी आध्यात्मिक और प्राकृतिक स्थल सक्ती जिले का गौरव हैं। जिनकी पहचान दूर दूर तक है।

सक्ती की आर्थिक स्थिति-
सक्ती जिले के बाराद्वार-जैजैपुर क्षेत्र के छीतापडरिया, खम्हरिया, अकलसरा में खनिज डोलोमाइट निकलता है। क्षेत्र के बाराद्वार व सक्ती व्यावसायिक केन्द्र हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में आय का जरिया कृषि व मजदूरी है। वन क्षेत्र के ग्रामीण वनोपज व मजदूरी से जीवन यापन करते हैं।
सक्ति क्षेत्र का इतिहास-
सक्ति जिले के इतिहास पर नजर डालें तो इसके नाम लेकर कुछ कहानियां है। माना जाता है कि यह क्षेत्र संबलपुर शाही परिवार के अधीन था। दशहरे के दिन गोंड राजाओं ने भैंसों को लकड़ी की तलवार से मारकर अपनी शक्ति का प्रदर्शन किया था। उनके प्रदर्शन से प्रसन्न होकर संबलपुर के राजा ने सक्ति को एक स्वतंत्र रियासत का दर्जा दिया। सक्ति रियासत छत्तीसगढ़ के प्रमुख मान्यता प्राप्त राज्यों में से एक है। मान्यताओं के अनुसार, यहां की भूमि शक्ति से भरपूर है इसलिए इसे श्सक्तिश् के नाम से जाना जाता है। मध्य प्रदेश के समय में यह सबसे छोटी रियासत थी। छत्तीसगढ़ के गठन के 22 साल बाद इस क्षेत्र को एक नए जिले के रूप में मान्यता मिल गई है।
कृषि क्षेत्र में विकास की अपार संभावनाएं-
जिला मुख्यालय सक्ती बॉम्बे-हावड़ा मुख्य रेल लाइन पर स्थित है। यह व्यापार और वाणिज्य का केंद्र भी है। इस क्षेत्र में कई कृषि और खनिज आधारित उद्योगों के लिए काफी संभावनाएं हैं। यहां दो बिजली संयंत्र है। इसके अलावा एक चावल मिल, कृषि उपकरण उद्योग और कोसा के कपड़े की बुनाई भी यहां की जाती है। सक्ती को जिला के तौर मान्यता मिलने के बाद यह क्षेत्र एक औद्योगिक और व्यावसायिक गतिविधियों का केंद्र बनता जा रहा है। वहीं लोगों को कई तरह की सरकारी सुविधाएं भी मिलेंगी। आने वाले समय में प्रशासनिक विकेंद्रीकरण से लोगों को सरकारी कार्यक्रमों और योजनाओं का लाभ आसानी से मिल सकेगा। साथ ही लोगों की आकांक्षाओं और जरूरतों के हिसाब से क्षेत्र का विकास होगा।



