सक्ती जिला

बरसों की मांग पर नहीं गया किसी का ध्यान, बोरदा सकरेलीकला को जोड़ने वाले पुल का नहीं सका निर्माण 

0 जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा का शिकार हो चुका है तिराईन पुल

सक्तीअब सक्ती जिला पूर्णकालिक राजस्व जिले के रूप में अस्तित्व में आ चुका है लेकिन विकास के मुद्दे पर आज भी विशेषकर ग्रामीण क्षेत्र बांट जाहे रहे हैं। 

      यहां से लगभग 3 किलोमीटर की दूरी पर उत्तर दिशा की ओर सकरेली कला ग्राम स्थित है यह ग्राम पंचायत है। कृषि पर आधारित अर्थव्यवस्था है, क्षेत्र में आवागमन के लिए पक्की सड़कें हैं लेकिन एक कमी जनसामान्य के लिए मन में खटकती रहती है। दो ग्राम पंचायत बोरदा सकरेली कलां के मध्य एक नाला है। जिसका नाम तिराईन नाला है। उस पर गांव से सुदूर तक जाने के लिए एक पुल है जो वर्षों पुराना, अनुपयोगी और जर्जर हो गया है। साथ ही मापदंड के विपरीत बना हुआ है। अब यह जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा का शिकार हो चुका है। यहां पर अब नया पुल निर्माण के अपेक्षित है। पुल के पास ही एक करोड़ 65 लाख की लागत से एनीकट का निर्माण किया जा रहा है। पूरे प्रदेश में जहां 24 हजार करोड रुपए से अधिक की लागत से सड़क पुल पुलियों का निर्माण विभिन्न क्षेत्र में कराया जा रहा है । लेकिन ऐसे अति आवश्यक पुल के लिए शासन प्रशासन क्यों आंखें मूंदे हुए हैं यह समझ से परे है। सकरेली साधारणतः बड़ा ग्राम है, जनसंख्या भी पर्याप्त है। वर्तमान सरपंच जनपद पंचायत सक्ती में सरपंच संघ के अध्यक्ष भी हैं। वही बोरदा निवासी जनपद सदस्य भी है। उसके बावजूद अनदेखी लोगों को खटकने लगी है।  

बरसात के दिनों में इस पुल से आवागमन किसी संकट से कम नहीं- 

       प्रदेश के ध्येय वाक्य नरवा, गरवा ,घुरवा और बाड़ी का क्रियान्वयन परिलक्षित होता है। पुल से गांव की कुल लंबाई लगभग 1 किलोमीटर की है। सभी दिशाओं में आवागमन के लिए यह नेटवर्क का कार्य करता है। सुदूर उत्तर में पहाड़ी श्रृंखला और मिनीमाता बांध का निर्माण हुआ है। बरसों पहले जब नहर निर्माण नहीं हुआ था  तब सीधे पहाड़ का वर्षा जल नाले में उतर आता था तब नाला बौराने के अंदाज में दिखाई देता था। पुल का नेटवर्क टूट जाता था, ओवरफ्लो लंबे समय तक बना रहता था। अब नियमित वर्षा के कारण यह स्थिति निर्मित नहीं होती पर संकट आवागमन में पुल के कारण बना रहता है। 

जर्जर होती सड़के और पुल बनता जा रहा परेशानी का सबब- 

सकरेली कला में सोसायटी, धान खरीदी केंद्र, हाई स्कूल , सक्ती शहर के लिए पेयजल व्यवस्था का एक स्रोत केंद्र स्थापित है। गांव में सब्जियों की अच्छी आवक होती हैं। 12 महीने इस गांव में गांव में खनिजों की सप्लाई वाहनों से होती रहती है। इस कारण सड़कें जर्जर अवस्था में रहती हैं। पहले वर्षों पूर्व गांव के छोटे-छोटे घरेलू कार्य के लिए पर्याप्त मात्रा में रेत भी मिल जाया करता था। गांव के अंतिम सिरे पर आवागमन हेतु अन्य मार्गों से वैकल्पिक मार्ग भी है। जिसका उपयोग मुख्य मार्ग की तरह नहीं किया जाता। सबसे ज्यादा आवागमन के मामले में परेशानी बरसात के समय विद्यार्थियों को होती है क्योंकि आसपास निश्चित दूरी पर अन्य हाई स्कूल गांव में हैं राष्ट्रीय राजमार्ग 49 से यह पुल बोरदा ग्राम चौराहे से कुछ दूरी पर ही है इससे इसकी उपयोगिता एवं महत्व काफी बढ़ जाते हैं। विकास के ऐसे मुद्दे पर उपेक्षा समझ से परे हैं। देखिए विधानसभा चुनाव स्तर पर यह ज्वलंत प्रश्न बनकर समसामयिक संदर्भ में उभरता है या नहीं।