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धान की रबी फसल लगाने वाले किसानों ने जताई चिंता, कहा- खरीदने वाले नहीं मिल रहे, पिछले वर्ष की तुलना में इस साल लागत तक नहीं निकली

सक्ती- विगत माह भर से रबी की धान की फसल की कटाई का सिलसिला चल रहा है। लेकिन इस वर्ष किसान एक गंभीर वास्तविकता का सामना कर रहे हैं। खरीदार कम हैं और मुनाफ़ा अनिश्चित है। इस चिंताजनक स्थिति ने कई किसानों को अपनी चिंता व्यक्त करने पर मजबूर कर दिया है, क्योंकि वे चुनौतीपूर्ण आर्थिक परिदृश्य के बीच अपनी लागत वसूलने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। रबी की फसलें, जिन्हें सर्दियों की फसलें भी कहा जाता है, स्थानीय कृषि क्षेत्र में धान की यह रबी फसल महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। यह फसल वर्ष की शुरूआत में बोई जाती हैं और अप्रैल-मई में काटी जाती हैं। हालांकि, इस साल, किसानों को एक अभूतपूर्व चुनौती का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि उन्हें अपनी उपज के लिए खरीदार खोजने में संघर्ष करना पड़ रहा है। पिछले साल की तुलना में, जब खरीदार आसानी से उपलब्ध थे, इस साल का बाजार निराशाजनक रहा है, जिससे किसान अपने भविष्य को लेकर चिंतित और अनिश्चित हैं। उनकी फसल का उचिम दाम भी उन्हें नहीं मिल पा रहा है। 

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रबी फसल का धान

क्षेत्र के किसानों द्वारा व्यक्त की गई मुख्य चिंताओं में से एक उनकी रबी फसलों के लिए खरीदारों की कमी है। अपनी पूरी कोशिशों के बावजूद, उन्हें अपनी उपज को बाजार में बेचना मुश्किल हो रहा है। यह पिछले साल के बिल्कुल उलट है, जब खरीदार उनकी फसलों के लिए उचित मूल्य देने को तैयार थे। मांग में अचानक गिरावट ने कई किसानों को अपनी फसलों के लिए बाजार खोजने के लिए संघर्ष करना पड़ा है। 

किसान दिनेश साहू एवं राजकुमार साहू ने कहा कि चार माह की कड़ी मेहनत से फसल को उगाकर तैयार किया। और अब उसे ही बेचने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। खेती की लागत निकल पाना भी मुश्किल हो रहा है। इसी प्रकार किसान सुनील कुमार यादव का कहना है कि धान को उचित मूल्य में बेचना चाहते हैं लेकिन उन्हें खरीददार नहीं मिल रहे हैं। आगे भविष्य में क्या होगा यह सोचनीय है। इसी प्रकार किसान दयाराम रात्रे कहा कि रबी फसल लेने के लिए किसान को काफी खर्च करना पड़ता है लेकिन उचित मूल्य नहीं मिलने के कारण किसानों को निराशा हाथ लगती है। लागत भी वसूल हो पानी मुश्किल हो जाती है। ऊपर से इस साल मौसम की मार मार झेलनी पड़ रही है. 

किसान मनीराम सिरली और भरत लाल का कहना है कि बीज और उर्वरक की लागत से लेकर मजदूरी और सिंचाई तक, रबी फसल की खेती में शामिल खर्च काफी हैं। हालांकि, खरीदारों की कमी के कारण, किसानों को अपनी लागत को कवर करना भी मुश्किल हो रहा है, लाभ कमाना तो दूर की बात है। इसने उनकी चिंताओं को और बढ़ा दिया है। इस साल रबी की धान फसल लगाने वाले किसानों की दुर्दशा चिंता का कारण है। खरीदारों की कमी और लागत वसूल न होने के कारण, रबी फसलों का भविष्य अनिश्चित लगता है। सरकार के लिए किसानों का समर्थन करने और रबी फसल बाजार को पुनर्जीवित करने के लिए सक्रिय कदम उठाने का समय आ गया है।