सक्ती जिला

फर्जी नियुक्तियों का गढ़ बना सहकारिता विभाग, साल भर से अधिक समय से लंबित है जांच

अधिकारियों की उदासीनता के कारण विभाग पर उठ रहे सवाल

नेता प्रतिपक्ष विधानसभा में उठा चुके हैं प्रश्न

सक्ती। सहकारिता विभाग के सेवा सहकारी समितियों में हुई नियुक्ति को लेकर उठे सवाल का जवाब आज तक किसी के पास नहीं है। साल भर से लंबित जांच को दबा दिया गया है। राज्य के तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष ने जिले की सहकारी समितियों में हुई नियुक्तियों को फर्जी बताते हुए विधानसभा में अतरांकित प्रश्न लगाया था। साल भर बीत जाने के बाद जांच को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है। यहां यह देखना लाजमी है कि जिन कर्मचारियों की नियुक्ति पर सवाल उठे हैं नोडल अधिकारी जिला सहकारी बैंक सक्ती के द्वारा उन्हें भी धान खरीदी का जिम्मा सौंप दिया है। सक्ती में 11 कर्मचारियों के ऐसे नाम हैं जिन पर फर्जी नियुक्ति की तलवार लटक रही है।

साल भर से अधर में लटका है मामला-

इस संबंध में मिली जानकारी के अनुसार विधानसभा में पूछे गए प्रश्न के बाद से सहकारिता विभाग कई सवालों के घेरे में आ गया। सक्ती अंतर्गत आने वाली सेवा सहकारी समिति सकरेलीकलां में प्रभात कुमार जायसवाल(लिपिक), रूपा पटेल दैनिक विक्रेता, पोरथा में पिताम्बर साहू दैनिक विक्रेता, सनत यादव कम्प्यूटर आपरेटर, कृषभ राठौर कम्प्यूटर आपरेटर, बीना साहू दैनिक कम्प्यूटर आपरेटर, समीर राठौर दैनिक भृत्य, बरपाली में जितेंद्र कंवर चौकीदार, अड़भार में तिलेश गबेल भृत्य, सक्ती समिति में यज्ञदत पाण्डेय विक्रेता, देवनारायण पटेल चौकीदार की नियुक्ति संदेह के दाहरे में है। इन नियुक्तियों को विपक्ष ने फर्जी बताते हुए सवाल उठाए थे और इनकी जांच की मांग की थी। लेकिन अब तक जांच का कोई अता पता नहीं है।

ऐसे होती है समिति कर्मचारियों की नियुक्ति-

जैसे नौकरियों में सर्व प्रथम पदो ंके अनुसार विज्ञापनों को प्रकाशन होता है। उसके बाद आवेदन मंगाए जाते है। इसके बाद योग्यता, प्राप्तांक, और साक्षात्कार के बाद मेरट लिस्ट तय की जाती है। इसके बाद चयन सूची का प्रकाशन होता है। वेटिंग सूची भी बनाई जाती है। यह सभी प्रक्रिया एक कमेटी के द्वारा की जाती है जो समिति स्तर पर बनती है। इसमें जिले के उप पंजीयक अध्यक्ष होते हैं। समिति का अध्यक्ष सदस्य, संचालक मण्डल के दो सदस्य, संबंधित बैंक का शाखा प्रबंधक व सीओ सहकारिता कमेटी के सदस्य होते हैं जो मिलकर कर्मचारी का चयन करते हैं। इन्ही की प्रक्रिया पर अब फर्जी नियुक्ति करने के आरोप लग रहे हैं।

जिन पर दाग है वे भी बनें धान खरीदी प्रभारी-

धान खरीदी प्रभारी बनाए जाने में जमकर अनुभवन व पात्रता की धज्जियां उड़ाई गई हैं। जिन पर अरोप लगे हैं उन्हे पूरे जिले में सभी जगह जिस प्रकार खरीदी की जिम्मेदारी दी गई है उसने पूरे सिस्टम पर सवाल खड़े कर दिए हैं। फर्जी नियुक्तियों को लेकर फर्जी नियुक्ति होने का शक इसलिए और गहरा हो जाता है क्योंकि साल भर से अधिक समय होते के बाद भी आज पर्यंत तक जांच लंबित है। ऐसे में जिम्मेदार लोगों के प्रति उच्चाधिकारियों का क्या रूख रहता है अब यह देखना दिलचस्प होगा।

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रिपोर्ट तैयार करने की प्रकिया में समितियों को जानकारी के लिए भेजा गया है। इस संबंध में मुझे अधिक जानकारी नहीं है। लेकिन जो जानकारी मांगी गई है उसे जल्द से जल्द उच्चाधिकारियों को प्रतिवेदन तैयार कर सौंप दिया जाएगा।

उर्वशी सिदार

सहकारिता विस्तार अधिकारी, सक्ती