चैत्र नवरात्रि के प्रथम दिवस अड़भार के प्रसिद्व मॉ अष्टभुजी मंदिर मे भक्तों की लगी भीड़

अड़भार | छत्तीसगढ़ की प्रसिद्ध सिद्ध शक्तिपीठ दक्षिणमुखी माँ अष्टभुजी मंदिर अड़भार में 30 मार्च से शुरू हो रहे चैत्र नवरात्रि पर्व की तैयारी लगभग पूरी कर ली गई है।माता रानी के दर्शनार्थ आने वाले श्रद्धालुओं के लिए बैरिकेट, सुरक्षाव्यवस्था,पार्किंग,पियाऊ,सुलभ शौचालय सहित मंदिर एवं पहुँच मार्ग में आकर्षक साज-सज्जा व लगने वाले दुकानों को व्यवस्थित किया गया है। विगत दिनों माँ अष्टभुजी सेवा समिति के पदाधिकारियों एवं सदस्यों के साथ तहसीलदार बिसाहीन चौहान ,चौकी प्रभारी हिराराम संवरा ,स्वास्थ्य विभाग से डॉ धनेश साहू,सफाई दरोगा विकास देवांगन नगरपंचायत,विद्युत विभाग से पटेल की उपस्थिति में सुरक्षा, स्वास्थ्य,साफसफाई, पेयजलापूर्ति एवं दुकानों को व्यवस्थित कर सफलता पूर्वक सम्पन्न कराने हेतु आवश्यक निर्णय एवं दिशा निर्देश दिया गया।इस अवसर पर अष्टभुजी सेवा समिति के अध्यक्ष ब्रजत देवांगन, उपाध्यक्ष गण पोखर कर्ष,लकेश्वर श्याम,बनिया राम रात्रे,भरत जलतारे, सचिव रमेश देवांगन, संयुक्त सचिव दिनेश जायसवाल, संरक्षक गण नवधा लाल मौरे, अरविंद तिवारी, कृष्णा रात्रे,प्रमुख व्यवस्थापक विकास चौबे,विधिक सलाहकार विकास तिवारी,कार्यालय सचिव महेन्द्र बरेठ कार्यकारिणी सदस्य श्यामलाल यादव, रामधन कटकवार,दशरथ साहू,राजेश जांगड़े,छवि राठौर,टी आर खरे,अशोक रात्रे,आनन्द टड़ैया,बीरबल बरेठ,सुनील लहरे,छोटू यादव,राकेश मौरे,सूर्यकांत विश्वकर्मा, लाला कटकवार,देवानन्द जायसवाल, शत्रुघन उरांव, महेश बरेठ,मनोज गोस्वामी(पुजारी),बब्बू गोस्वामी (पुजारी) सहित बड़ी संख्या में सदस्यगण उपस्थित रहे।
विदित हो कि अड़भार स्थित माँ अष्टभुजी मंदिर ऐतिहासिक और पुरातात्विक महत्व की है।यहाँ पूरे सालभर देश के कोने-कोने से दर्शनार्थी आकर अपनी मनोकामनाएं पूरी करते हैं।अड़भार नगर को पुरातन काल में अष्टद्वार के नाम से जाना जाता था एवं 126 देवी देवताओं ,126तालाबों,126-126 बट,पीपल के विशाल वृक्षों के लिए अपना विशिष्ट पहचान के रूप में जाना जाता है।6 वीं शताब्दी की यह मन्दिर पूर्ण रूप नहीं ले पाया है।इसके पीछे एक किवदंती है कि सभी देवी देवता छः मासी रात्रि यात्रा में थे लेकिन छह माह समाप्ति के बाद जब दिन हुआ तो सभी देवता पत्थरों में तब्दील हो गए।यहां माँ अष्टभुजी मंदिर के अलावा समलेश्वरी मंदिर,नेवताधोबिन दाई,राम मंदिर के साथ आठ विशाल शिवलिंग अलग-अलग स्थानों पर विराजमान हैं।
मंदिरों में प्रतिवर्ष चैत्र नवरात्रि एवं क्वांर नवरात्रि में हजारों की संख्या में दर्शन करने आते हैं एवं श्रद्धालुओं द्वारा मनोकामना ज्योतिकलश दीप प्रज्जवलित कराया जाता है।इस चैत्र नवरात्रि में अष्टभुजी मंदिर में लगभग 1500 सौ मनोकामना ज्योति कलश दीप प्रज्जवलित होगी।