छत्तीसगढ़सक्ती जिला

जिले के अशासकीय स्कूलों में नहीं मना शिक्षक दिवस, प्रबंधकों ने काली पट्टी लगाकर जताया विरोध, 95 प्रतिशत स्कूल रहे बंद  

–  आरटीई की राशि के भुगतान की हो रही है मांग 

 सक्ती। आरटीई की राशि नहीं मिलने के विरोध स्वरूप आज छत्तीसगढ़ प्राइवेट स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन के अंतर्गत आने वाले विद्यालयों ने शिक्षक दिवस नहीं मना कर दिन भर आज संचालकों ने काली पट्टी बांधकर अपना विरोध जताया। एसोसिएशन ने आरटीई की राशि अभी तक प्राप्त नहीं होने के कारण बड़ा निर्णय लेते हुए शिक्षक दिवस नहीं मनाए जाने का निर्णय लिया था ।

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जिलाध्यक्ष विजय लारेंस और सचिव योगेश साहू ने जानकारी देते हुए बताया कि छत्तीसगढ़ प्रदेश के निजी विद्यालयों की समस्याओं को लेकर पिछले कई वर्षों से लगातार शासन प्रशासन से विभिन्न स्तर पर बातचीत की जाती रही है परंतु आज पर्यंत तक कोई भी परिणाम नहीं निकला है। अपनी मांगों को लेकर अब निजी विद्यालय संघ ने आंदोलन का मार्ग अपनाने का निर्णय ले लिया है। 3 सितंबर को आयोजित बैठक में निर्णय लिया गया था कि अब अपनी मांगों को लेकर चरणबद्ध आंदोलन किया जाएगा। इसी क्रम में 5 सितंबर शिक्षक दिवस के दिन विद्यालय बंद कर शिक्षक दिवस कार्यक्रम नहीं मनाने का निर्णय लिया गया। स्थानीय पदाधिकारी ने कहा कि जब हम शिक्षकों को समय पर ना तो वेतन दे पा रहे हैं और ना ही उन्हें उचित मानदेय दे पा रहे हैं तो यह कैसा सम्मान होगा।

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पिछले कई वर्षों से आरटीई की राशि रोकी गई है। पिछले 12 वर्षों से आरटीई की राशि में कोई वृद्धि भी नहीं की गई है जबकि महंगाई कहां से कहां पहुंच गई है। वहीं दूसरी ओर आरटीई में प्रवेश देने शासन का जबरदस्त दबाव रहता है। स्कूलों में 25% छात्रों का पैसा स्कूलों को मिलेगा ही नहीं तो स्कूल कैसे चलेगा। छत्तीसगढ़ प्राइवेट स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन के पदाधिकारी ने अपनी व्यथा बताते हुए कहा कि बार-बार स्कूलों की कमियां बात कर पैसा को रोक दिया जाता है। अब प्रदेश संगठन ने आंदोलन करना तय कर लिया है। इसी तारतम्य में 5 सितंबर को स्कूल बंद रखकर, शिक्षक दिवस ना मना कर, काली पट्टी लगाकर अपनी पीड़ा सभी के समक्ष रखे।

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इस निर्णय के अनुसार इस संगठन के अंतर्गत आने वाले सक्ती जिले के स्कूल भी अपना विरोध जताया। अशासकीय विद्यालयों के प्रबंधकों के इस निर्णय से जिले के करीब पांच हजार विद्यार्थियों को शिक्षक दिवस पर अपने शिक्षकों को बधाई देने से वंचित होना पड़ा। प्रबंधकों ने कहा कि यदि उनकी मांगे जल्द पूरी नहीं होगी तो आगे उग्र आंदोलन किया जाएगा।

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