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“नेता नहीं, बेटा चुनिए” के नारे के साथ, जिला पंचायत सदस्य की रेस में आगे निकले आयुष शर्मा, मतदाताओं का जमकर बरसेगा आशीर्वाद, कहा- राजनीति में सेवा करने आया हूं, एक बार मौका दीजिए, विकास की गंगा बहायेंगें क्षेत्र में

सक्ती। पंचायत चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं, प्रचार अभियान नारों और वादों से गुलजार हो रहे हैं। राजनीतिक एजेंडे और सत्ता संघर्ष की उथल-पुथल के बीच, एक उम्मीदवार एक अनोखे संदेश के साथ खड़ा है – आयुष शर्मा। “नेता नहीं बेटा चुनें” नारे के साथ आयुष शर्मा मतदाताओं के दिलों पर छा रहे हैं और जिला पंचायत सदस्य की दौड़ में आगे चल रहे हैं। लेकिन आयुष शर्मा अपने विरोधियों से अलग क्या हैं? एक खास इंटरव्यू में आयुष शर्मा ने अपने विजन और राजनीति में आने के कारणों के बारे में खुलकर बात की। विनम्र और आत्मविश्वास से भरे लहजे में उन्होंने कहा, “मैं राजनीति में सेवा करने आया हूं। मुझे एक मौका दीजिए और मैं क्षेत्र में विकास की लहर लाऊंगा।” आयुष शर्मा जिले के बाराद्वार से आते हैं। आयुष ने अपने समुदाय के संघर्षों और चुनौतियों को देखा है। सकारात्मक बदलाव लाने की इच्छा के साथ आयुष ने राजनीति में उतरने का फैसला किया। उनका नारा, “नेता नहीं बेटा चुनें” उनके इस विश्वास को दर्शाता है कि नेता लोगों से ऊपर नहीं होना चाहिए, बल्कि उनके बीच का होना चाहिए, एक बेटा जो उनकी समस्याओं को समझता हो और उन्हें हल करने की दिशा में काम करता हो।

आयुष शर्मा का अभियान अपने लोगों की सेवा करने के उनके जुनून से प्रेरित है। आयुष पूरी तरह से अपने क्षेत्र के विकास पर ध्यान केंद्रित करते हैं। उनकी साफ-सुथरी छवि और मजबूत नैतिक मूल्यों ने कई मतदाताओं का समर्थन और आशीर्वाद प्राप्त किया है। ऐसे समय में जब वोट बैंक की राजनीति और भ्रष्टाचार का बोलबाला है, आयुष शर्मा का संदेश ताजी हवा के झोंके की तरह है। वह पंचायत प्रणाली में पारदर्शिता और जवाबदेही लाने का वादा करते हैं।

आयुष शर्मा ने दृढ़ विश्वास के साथ कहा, “मैं एक नेता नहीं, बल्कि एक जनप्रतिनिधि होने में विश्वास करता हूं। मैं यहां लोगों की आवाज सुनने और उनकी जरूरतों को पूरा करने की दिशा में काम करने के लिए हूं।” अपने विजन के अलावा, आयुष शर्मा की साख भी खुद ही बोलती है।

जमीनी स्तर पर काम करने का उनका अनुभव और स्थानीय मुद्दों की उनकी समझ उन्हें जिला पंचायत सदस्य के लिए उपयुक्त उम्मीदवार बनाती है। जैसे-जैसे चुनाव की तारीख नजदीक आ रही है, आयुष शर्मा का अभियान जोर पकड़ रहा है। उनकी रैलियों और भाषणों में अच्छी संख्या में लोग शामिल हो रहे हैं और उनकी लोकप्रियता बढ़ रही है। जिले के मतदाता ऐसे नेता की तलाश कर रहे हैं जो उनके भले के लिए काम करे और अपनी शक्ति का इस्तेमाल निजी लाभ के लिए न करे। आयुष शर्मा में उन्हें एक ऐसा नेता दिखाई देता है जो ईमानदार, समर्पित और सकारात्मक बदलाव लाने के लिए दृढ़ संकल्पित है।

अंत में, आयुष शर्मा का नारा, “नेता नहीं, बेटा चुनें” मतदाताओं को पसंद आ रहा है, जो खोखले वादों और भ्रष्ट नेताओं से थक चुके हैं। अपने लोगों की सेवा करने की उनकी ईमानदार इच्छा और विकास के प्रति उनकी प्रतिबद्धता उन्हें जिला पंचायत सदस्य की दौड़ में एक मजबूत दावेदार बनाती है।