आचार्य पवनकृष्ण गोस्वामी ने भागवत कथा के छठवें दिवस महारास, मथुरा गमन एवं रूकमणी विवाह की कथा सुनाई

ग्राम किरारी में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के छठवें दिवस रूकमणी विवाह की झांकी देखने उमडी भक्तो की भीड
किरारी (डभरा) – ग्राम किरारी के अटल समरसता भवन में 11 से 18 मार्च तक संतोष अग्रवाल की अगुवाई में समस्त ग्रामवासीयो के द्वारा श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ सप्ताह का आयोजन किया गया है। कथा के छठवें दिवस ब्यासपीठ से आचार्य पवनकृष्ण गोस्वामी (मथुरा वाले) ने उपस्थित श्रोताओं को महारास, मथुरा गमन एवं रूकमणी विवाह की कथा का श्रवण कराया। उन्होने बताया कि वृन्दावन को भगवान कृष्ण की भूमि के रूप में जाना जाता है, जिसमें कुछ सबसे मंत्रमुग्ध कर देने वाले कृष्ण मंदिर भी हैं, लेकिन दूसरी ओर, निधिवन विभिन्न कारणों से लोकप्रिय है। यह भी मान्यता है कि यह वह स्थान है जहां भगवान कृष्ण आज भी आते हैं और हर रात रासलीला रचाते हैं।

आगे की कथा में श्री गोस्वामी ने कहा कि माता पिता की सेवा करना मनुष्य का पहला कर्तव्य है, कितने दुख उठाकर कितनी विपत्तियां झेलकर वे अपनी संतान का लालन पालन करते हैं, उनके उपकारो, उनकी सेवाओ का बदला किसी प्रकार से चुकाया नही जा सकता। आचार्य पवनकृष्ण गोस्वामी ने कथाप्रवचन के दौरान बताया कि श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता उपदेश देते हुए समझाया कि मनुष्य में विवेक होना चाहिए, दुध का दुध और पानी का पानी करने का, उचित-अनुचित एवं उनके बुरे परिणाम मे अंतर समझने और सब जानने से विवेक आता है। इस जगत मे भगवत कृपा के बिना कुछ भी संभव नहीं है, प्रत्येक मनुष्य को समाज मे अच्छे काम करने चाहिये। भगवान श्री कृष्ण ने कहा की कर्म ही प्रधान है, जो मनुष्य अच्छा काम करते है उसका परिणाम अच्छा ही होता है व बुरे कर्म करने वालो के प्रति बुरा ही होता है, इसलिए सभी को अच्छे कर्मो के प्रति आकृष्ट होना चाहिये।

रुक्मणी ने जब देवर्षि नारद के मुख से श्रीकृष्ण के रूप, सौंदर्य एवं गुणों की प्रशंसा सुनी तो उसने मन ही मन श्रीकृष्ण से विवाह करने का निश्चय किया। रुक्मणी का बड़ा भाई रुक्मी श्रीकृष्ण से शत्रुता रखता था एवं अपनी बहन का विवाह राजा दमघोष के पुत्र शिशुपाल से कराना चाहता था। कथा के दौरान रुक्मणी मंगल विवाह सभी विधी विधान के साथ धूमधाम से संपन्न कराया गया एवं रुक्मणी मंगल विवाह से संबंधित विभिन्न भजन अचार्य ने सुनाये, जिसमें उपस्थ्ति भक्त एवं महिलायें झूम उठें। रूक्मणी मंगल विवाह के अवसर पर बारात भी निकाली गई, जिसमें श्रीकृष्ण एवं रूक्मिणी को दुल्हा दुल्हन की वेषभूषा में सजाया गया था। किरारी में आयोजित कथा स्थल में भागवत सुनने के लिए बडी संख्या में भक्तगण शामिल हुए। आयोजक संतोष अग्रवाल ने बताया कि कथा का समापन 18 मार्च को हवन, पूर्णाहूति एवं भण्डारा के बाद संपन्न होगा।
भागवत मर्मज्ञ गोस्वामी गोविंद बाबा जी पहॅूचे कथा स्थल, दिया भक्तो को आर्शीवाद – ब्यासपीठ से कथा सुना रहे आचार्य पवनकृष्ण गोस्वामी के पिता एवं देश के प्रसिद्ध भागवत मर्मज्ञ गोस्वामी गोविंद बाबा (मथुरा) 16 मार्च को ग्राम किरारी में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ सप्ताह के कथा स्थल में पहॅूचकर भागवत सुनने आये भक्तो को आर्शीवचन दिया, इस दौरान कथा स्थल पर आचार्य पवनकृष्ण गोस्वामी के पिता के साथ उनकी माताजी का भी आगमन हुआ था, दोनो अतिथियो का आयोजक संतोष अग्रवाल एवं उनके परिवार के द्वारा आत्मीय स्वागत किया गया।
कथा सुनाते अचार्य पवनकृष्ण गोस्वामी एवं कथा स्थल पर श्रद्धालूओ की भीड व दुल्हा दुल्हन की वेषभूषा में सजे हुए की फोटो प्रेषित !