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जिला स्तरीय ग्रीष्मकालीन खेल प्रशिक्षण शिविर गुपचुप तरीके से किया गया आयोजित, जिले के तीन ब्लॉक के बच्चों को नहीं मिला लाभ

  • शिविर की महज औपचारिकता हुई पूरी, रूचि लेने वाले अधिकांश बच्चे रहे वंचित

सक्ती- खेल एवं युवा कल्याण विभाग द्वारा जिले में 20 मई से ग्रीष्मकालीन खेल प्रशिक्षण शिविर अंतर्गत विभिन्न खेल विधाओं का प्रशिक्षण आयोजित किया गया। यह आयोजन इतने गुपचुप तरीके से हुआ कि न तो ठीक ढंग से इसका प्रचार हुआ और न ही ठीक ढ़ंग से इसकी सूचना प्रसारित की गई। पूरे जिले के चार ब्लाक से एक माह में महज 273 बच्चों ने ही पंजीयन कराया। इस प्रकार के आयोजनों से महज एक औपचारिकता ही पूरी की जा रही है। इसका सही तरीके से लाभ बच्चों को नहीं मिल पाया।
जिला खेल एवं युवा कल्याण अधिकारी हरि पटेल ने बताया कि एक माह के शिविर में लगभग सवा लाख का बजट आया था जिसमें बच्चों के लिए खेल सामग्री, नाश्ता की व्यवस्था करनी थी। लेकिन कई बच्चों ने जानकारी दी कि उन्हें न तो ठीक से खेल सामग्री मिली और न ही उन्हें ठीक से खाद्य सामग्री दी जाती थी। प्रशिक्षण देने के लिए प्रशिक्षित लोगों का भी चयन नहीं किया गया था। निजी संगठन वालों को इसकी जवाबदारी दे दी गई थी। कार्यक्रम के प्रचार प्रसार की भी काफी कमी देखी गई। शहर में या गांव में एक भी बैनर पोस्टर आयोजकों द्वारा नहीं लगाए गए थे। नगर के कुछ खेल प्रमियों से चर्चा की गई तो उन्होनें कहा कि ग्रीष्मकालीन खेल प्रशिक्षण शिविर के संबंध में उन्हें कोई जानकारी नहीं है। जबकि नगर में ऐसे कई बच्चे हैं जो इसमें प्रशिक्षण प्राप्त करना चाहते थे। लेकिन प्रशासन की उदासीनता और प्रभारियों की लापरवाही के कारण ऐसा संभव नहीं हो सका। कलेक्टर सहित तमाम अधिकारियों की उपस्थिति में 24 जून को इस खेल प्रशिक्षण क समापन करने की घोषणा भी कर दी गई।

जिला स्तरीय शिविर लेकिन तीन ब्लाक से नहीं पहुंचे बच्चे-

जिला खेल अधिकारी हरि पटेल से प्राप्त जानकारी के अनुसार जिला स्तरीय खेल प्रशिक्षण शिविर में जिला स्तर का आयोजन किया गया था। जिसमें डभरा, सक्ती, मालखरौदा और जैजैपुर ब्लाक के बच्चों को प्रशिक्षण मिलना था लेकिन इसमें अधिकांश सक्ती ब्लाक के ही बच्चे थे उसमें अपेक्षानुरूप प्रशिक्षण में बच्चे शामिल नहीं हुए। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि प्रशिक्षण शिविर की महज औपचारिकता भर पूरी की गई हो।

केवल सोशल मीडिया के बल पर हुआ शिविर-

खेल अधिकारी हरि पटेल ने कहा कि प्रशिक्षण शिविर के लिए किसी भी प्रकार के बैनर पोस्टर नहीं लगाए गए। बल्कि सोशल मीडिया के माध्यम से प्रचार किया गया था। जिला स्तरीय खेल प्रशिक्षण शिविर को केवल सोशल मीडिया से निपटाना भी अधिकारी की कार्यशैली पर सवालिया निशान लगा रहा है। आखिरकार इस प्रकार की कार्यशैली से किस प्रकार बच्चों का बौद्धिक और शारीरिक विकास होगा यह समझ से परे है।