
फर्जी ॠण और नियुक्तियां विभाग के लिए बनती जा रही चुनौतियां
बरसों से कुंडली मारकर बैठे अधिकारी बन रहे भ्रष्टाचार की वजह
सक्ती। 1 नवंबर से धान खरीदी प्रारंभ हो गई है। लेकिन अभी अधिकांश केंद्रों में धान की बोहनी प्रारंभ नहीं हुई है। सक्ती जिला बनने के बाद सबसे बड़ी चुनौती है तो समितियों में व्याप्त भ्रष्टाचार पर चाबुक चलाने की है। लगातार जिले की समितियों में भ्रष्टाचार हावी होने की जानकारी सामने आती है लेकिन कम्बल ओढ़कर घी पीने वाले अधिकारियों के द्वारा कभी ठोस कार्यवाही नहीं की जाती जिस कारण हर साल धान खरीदी में करोड़ों के वारे न्यारे हो जाते हैं। सहकारी समितियों में भ्रष्टाचार का होना कोई नई बात नहीं है। लेकिन नए जिले में नए अधिकारी इसे कितनी गंभीरता से लेते हैं यह सोचनीय विषय है। ऐसे प्रभारियों के हाथ में धान खरीदी देना जिन पर भ्रष्टाचार के दाग़ लगे हों उनको फिर से धान खरीदी की कमान सौंपना सवालिया निशान लगा रही है। ऐसा सक्ती, जैजैपुर, डभरा, मालखरौदा ब्लॉक में इस बार भी देखने को मिल रहा है।

पहले लिस्ट होती है सेमीफाइनल फिर खरीदी के एन वक्त पर बदल जाते है कई नाम –
धान खरीदी प्रभारियों की सूची तैयार करने में अधिकारियों को काफी जद्दोजहद करनी है। खरीदी के पखवाड़े भर पहले एक सूची वायरल होती है जिसमें खरीफ वर्ष के लिए खरीदी करने वाले प्रभारियों और कम्प्यूटर आपरेटर के नाम होते हैं लेकिन खरीदी प्रारंभ होने के चंद घंटे पहले दोबारा सूची जारी होती है जिसमें काफी संख्या में नाम बदल जाते हैं। सूत्रों की माने तो धन- बल और पहुंच के कारण ऐसा होता है। जिन प्रभारियों के रिकॉर्ड खराब है उनसे भी मोटी रकम लेकर नियुक्ति दे दी जाती है। ऐसे समय में पुराने कुकर्मों पर पर्दा डालने का काम कर दिया जाता है। कई बार भ्रष्टाचार को खुली छूट दे दी जाती है और दूसरी समितियों के कर्मचारियों को अन्य समिति में स्थानांतरित कर दिया जाता है। वहां भ्रष्टाचार जमकर होता है लेकिन खरीदी के बाद उक्त प्रभारी की वापसी अपने समिति में हो जाती है और उसका खामियाजा संबंधित समिति को भुगतना पड़ता है। कुल मिलाकर शासन को लाखों करोड़ों का चूना लगता है। ऐसे कामों में ऊपर से लेकर नीचे तक सेटिंग की चर्चा रहती है।

फर्जी नियुक्तियों को लेकर कई समितियां संदेह के दायरे में –
सेवा सहकारी समितियों में विगत कई वर्षों से फर्जी नियुक्तियों का खेल चल रहा है। यह आज तक बदस्तूर जारी है। कई अधिकारियों ने अपने रिश्तेदारों और चहेतों को समितियों में नियुक्ति दिला दी गई। जानकारी यहां तक मिल रही है जिसके एवज में अधीनस्थों और जिनसे काम बनना है उन अधिकारियों को मोटी रकम भी दी गई है। आज ये नियुक्त हुए कर्मचारी केवल कर्मचारी नहीं है छोटे पद पर होने के बावजूद इनको धान खरीदी प्रभारी बना देना यह लंबी सांठगांठ की ओर इशारा कर रहा है। कई सालों से ऐसे मामले दबी जुबान से विभाग में बोले जाते हैं लेकिन अब इंतजार है गहरी जांच हो और दोषियों को बख्शा ना जाए।

सक्ती जिला बना, क्या अब होगी कार्यवाही? –
सक्ती जिला बनने के बाद निश्चित तौर पर प्रशासनिक कसावट आएगी। सक्ती जिले के विकासखंड सक्ती, जैजैपुर, डभरा, मालखरौदा में यही हाल रहा है। अब देखना होगा कि सक्ती के जिला बनने के बाद उच्चाधिकारियों का क्या रुख रहता है? लेकिन अब धान खरीदी प्रारंभ हो चुकी है कार्यवाहियां अभी तक दिखी तो नहीं है लेकिन अब देखना होगा कि आगे क्या होता है। विदित हो कि सक्ती में सहकारिता विभाग के जिला पंजीयक की नियुक्ति भी हो चुकी है।

बरसों से जमे अधिकारी भी भ्रष्टाचार की एक वजह –
जिस अधिकारी पर सहकारी बैंक के नोडल का जिम्मा सौंपा गया है। वह कई सालों से सक्ती जिले में पदस्थ है। प्रभाव के कारण ना तो स्थानांतरण हो रहा है ना ही किसी प्रकार की कार्यवाही। ऐसे ही अन्य कई अधिकारी सभी ब्लॉक में भी है जो बरसों से सहकारिता विभाग की घुन की तरह चट कर रहे हैं। इसका सीधा सीधा नुकसान वे विभाग को पहुंचा रहे हैं।
विभागीय अधिकारियों और समिति कर्मचारियों में सामंजस्य नहीं –
सहकारिता विभाग की बदतर होती हालत अब किसी से छुपी नहीं है। धान खरीदी प्रारंभ होने से पूर्व सहकारी समिति के कर्मचारियों और सहकारिता अधिकारियों के बीच तनातनी की बात किसी से छुपी नहीं है। सामुदायिक भवन में हुई जिला स्तरीय बैठक में बवाल हुआ था। जिसमे अधिकारियों ने कहा कि कर्मचारी हावी होने की कोशिश कर रहे हैं। वहीं कर्मचारियों ने कहा था कि अधिकारी उनकी समस्या नहीं सुन रहे हैं। अंदरखाने से एक बात यह भी छन कर सामने आ रही है कि कर्मचारियों को सहकारी बैंक के एक अधिकारी का आशीर्वाद प्राप्त है जिसके कारण विवाद की स्थिति पैदा हो रही है।
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किसी भी प्रकार की गड़बड़ी की शिकायत मिलने पर संबंधित व्यक्ति पर ठोस कार्यवाही की जाएगी। किसी भी प्रकार से अनियमितता को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
महेश्वरी तिवारी
नोडल अधिकारी, सहकारी संस्थाएं
जिला – सक्ती