सक्ती जिला: स्वास्थ्यकर्मियों के स्थानांतरण में गड़बड़झाला, स्थानांतरण नीति 2025 की उड़ी जिले में धज्जियां

- विभागीय प्रस्ताव और जारी आदेश में जमीन आसमान का अंतर
सक्ती- जिले से एक बड़ी खबर निकलकर सामने आ रही है। स्वास्थ्य विभाग में कलेक्टर द्वारा 30 जून 2025 में किए गए तबादलों से संबंधित है, जिसने कई लोगों को हैरान कर दिया है और इस प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल उठा रहे हैं। स्थानांतरण प्रक्रिया पर सवाल उठ रहे हैं। स्थानांतरण नीति 2025 के नियमों की जमकर धज्जियां उड़ाई गई है। विभागीय जिला अधिकारी के कार्यालय से प्रस्ताव गया कुछ, कलेक्टर ने सूची बनाई कुछ और फिर आदेश जारी किया कुछ और। इन बातों को खुलासा सूचना के अधिकारी के तहत ली गई जानकारी से हुआ है। जो स्थानांतरण सूची कलेक्टर ने जारी की है और जो प्रस्ताव स्वास्थ्य विभाग से गया है उसमें जमीन आसमान का अंतर है। जिनका प्रस्ताव नहीं गया है उनका भी स्थानांतरण हो गया है। यह अजब गजब कारनामा हुआ है सक्ती जिले में जिसने जिले के अधिकारियों की कार्यशैली में कई प्रश्नचिन्ह लगा दिए हैं। इस मामले पर कलेक्टर भी बचते नजर आए और उन्होनें प्रभारी मंत्री से प्राप्त सूची और अनुमोदन को फॉलो करने की बात कही। जितने दस्तावेज इस संबंध में उपलब्ध हैं उनमें आपस में ही विरोधाभास देखने को मिल रहे हैं। अब देखना होगा कि जिम्मेदारों पर क्या कार्रवाई होती है।
यह है नियम-
स्वास्थ्य विभाग की एक स्पष्ट स्थानांतरण नीति है, जिसके अनुसार जिला कार्यालय प्रमुख एक स्थानांतरण प्रस्ताव तैयार कर जिला कलेक्टर को प्रस्तुत करेंगे। कलेक्टर द्वारा सावधानीपूर्वक जाँच के बाद, जिले के प्रभारी मंत्री की अंतिम स्वीकृति के साथ स्थानांतरण आदेश जारी किया जाएगा। हालाँकि, कलेक्टर द्वारा जारी की गई हालिया स्थानांतरण सूची में, विभागीय प्रस्ताव और स्थानांतरित किए गए 21 स्वास्थ्य कर्मियों की अंतिम सूची में भारी अंतर है। इससे कई लोग यह सोच रहे हैं कि क्या तबादले के नियमों का उल्लंघन हुआ है, और अगर हुआ भी, तो किसने?
30 जून को 21 लोगों की सूची हुई थी जारी-
जानकारी के अनुसार, कलेक्टर ने पिछले महीने की 30 तारीख को जिला स्तरीय स्वास्थ्य कर्मियों की तबादला सूची जारी की थी और तब से इसे लेकर विवाद बढ़ता ही जा रहा है। तत्कालीन सीएमएचओ कृपाल सिंह कंवर द्वारा प्रस्तुत प्रस्ताव पर विचार नहीं किया गया और प्रभारी मंत्री की स्वीकृति के बिना ही अंतिम सूची जारी कर दी गई। जिन 21 स्वास्थ्य कर्मियों के नाम तबादले आदेश में दर्ज हैं, उनमें से कई के पास तबादले का प्रस्ताव ही नहीं था। यह भी सामने आया है कि इनमें से कुछ कर्मियों का तबादला एक निश्चित स्थान पर होना था, लेकिन उनका तबादला कहीं और कर दिया गया। यह स्वास्थ्य कर्मियों के लिए चिंता का विषय बन गया है और कुछ तो कानूनी कार्रवाई करने की भी योजना बना रहे हैं। मिली जानकारी के अनुसार स्वास्थ्य विभाग के प्रस्ताव में 17 स्वास्थ्यकर्मियों का नाम था। कलेक्टर को प्रभारी मंत्री की सूची में 22 लोगों को नाम है। जबकि अंतिम स्थानांतरण आदेश में 21 लोगों को नाम है। इस पूरी स्थिति ने खलबली मचा दी है और इन तबादलों के पीछे की निर्णय प्रक्रिया पर संदेह पैदा कर दिया है। सवाल उठता है – इस लापरवाही के लिए कौन ज़िम्मेदार है, और इतने महत्वपूर्ण मामले को इतनी लापरवाही से कैसे निपटाया जा सकता है? शासन प्रशासन की ज़िम्मेदारी है कि वे त्वरित कार्रवाई करें और निर्णय प्रक्रिया का पुनर्मूल्यांकन करें।
विभागीय प्रस्ताव तथा अन्य जानकारी के समस्त दस्तावेज कार्यालय में उपलब्ध हैं। हमने कलेक्टर कार्यालय भेज दिया था। कलेक्टर जिले के प्रमुख होते हैं। वहां से क्या हुआ उस बारे में मैं अधिक कुछ नहीं कह सकता।
कृपाल सिंह कवंर
तत्कालीन सीएमएचओ, सक्ती
प्रभारी मंत्री के यहां से जो अनुमोदन होकर सूची प्राप्त हुई थी। उसके आधार पर स्थानांतरण आदेश जारी किया गया है।
अमृत विकास टोपनो