
सक्ती। खुशियों व रंगों के त्योहार ‘होली’ से एक दिन पूर्व मनाये जाने वाले होलिका दहन का अपना एक विशेष महत्व है। आमतौर पर लोग होली के एक दिन पूर्व चौक-चौराहों पर लकड़ी व गोबर(गोयठा) का ढेर जमा करते है और उसे जलाकर होलिका दहन की परंपरा को पूरा करते है। मारवाड़ी समाज में होलिका दहन का एक विशेष स्थान है। समाज के लोगों द्वारा पूरे विधि विधान के साथ होलिका दहन की परंपरा को पूरा किया जाता है। रविवार को बुधवारी बाजार के समीप मारवाड़ी समाज द्वारा होलिका पूजन तथा दहन किया गया। प्रत्येक घर में महिलाएं द्वारा उत्साह के साथ गोबर की बड़कुला व होलिका तैयार कर जमा किया गया और पूरे विधि विधान के साथ होलिका दहन कर समाज की कुरीतियों को दूर करने का संकल्प दोहराया।

इसके बाद समाज के लोगों ने होलिका में चना, जो, गेहूं आदि को सेंककर प्रसाद के रूप में ग्रहण किया। मारवाड़ी समाज में होलिका दहन नवविवाहित महिलाओं के लिए भी शुभकर है। होलिका की परिक्रमा कर नवविवाहिता सुखमय जीवन की कामना करती हैं। समाज की महिलाओं ने बताया कि होलिका दहन के बाद गणगोर उत्सव का आयोजन होगा। महिलाएं माता गंगोरी की पूजा के लिए होलिका की राख अपने घर लाती है।