सक्ती जिला

सक्ती जिला मुख्यालय का अस्पताल आईसीयू में: 45 घंटे से अधिक का समय बीता, अस्पताल में ब्लैक आउट से मरीज परेशान, तकलीफ से नहीं है अधिकारियों को सरोकार

अपनी बदहाल स्थिति पर आंसू बहा रहा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र 

सक्ती- स्थानीय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में दो दिनों से ब्लैक आउट छाया हुआ है। पूरा अस्पताल अंधेरे में है। 40 घंटे बीत जाने के बाद भी विद्युत व्यवस्था बहाल नहीं हुई है। सोलर पैनल से जो सप्लाई हो रही है वह नाकाफी है। विद्युत व्यवस्था फेल होने से अस्पताल में भर्ती मरीजों और उनके परिजनों का बुरा हाल हो गया है। इस तकलीफ से न तो अधिकारियों को सरोकार है और न ही स्थानीय जनप्रतिनिधियों को। 

            स्थानीय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र इन दिनों काफी बदहाल स्थिति में है। विगत दो दिनों से इस हॉस्पिटल में विद्युत लाइन में खराबी आ जाने की वजह से अंधेरे में मरीजों को रहना पड़ रहा है। मरीजों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। अस्पताल व्याप्त गंदगी, दुर्गंध और बिना लाइट के समय काटना किसी नरक से कम प्रतीत नहीं हो रहा है। अस्पताल पूरी तरह से इन दिनों अपनी बदहाल स्थिति पर आंसू बहा रहा है। 

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कमरे में गंदगी की भरमार

विद्युत विभाग वायर का कर रहा इंतजार- 

बताया जा रहा है कि विद्युत विभाग ने वायर की मांग की है ताकि रिपेयरींग कार्य को किया जा सके। अस्पताल में जब इस बात का पता किया गया तो बताया गया कि यहां वायर नया लगाने का खर्चा लगभग डेढ़ लाख के आस पास आ रहा है जिस कारण रिपेयरिंग का काम नहीं हो पा रहा है। विद्युत विभाग की मानें तो यहां का कनेक्शन ट्रांसफार्मर से अंडरग्राउंड आया हुआ है। अंडर ग्राउंड समस्या आ जाने के कारण काफी दिक्कत है तत्काल रिपेयरिंग कर पाना मुश्किल है। विद्युत विभाग ने बताया कि अस्पताल प्रबंधन से वायर की मांग की गई है ताकि उसे बाहर से ला कर जोड़ा जा सके लेकिन अभी तक वायर प्राप्त नहीं हुआ है।

नवजातों और मरीजों को हो रही अधिक परेशानी- 

इसका खामियाजा यह हो रहा है कि आने वाले लोगों को यहां काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। कई मरीज तो ऐसे हैं जो दो दिनों से बिना लाइट और पंखे की गुजर बसर कर रहे हैं। खासतौर पर ऐसे मरीजों को या नवजात बच्चों की माताओं को परेशानी हो रही है जो हाल ही में बच्चे को जन्म दी है। बच्चे को लेकर भी काफी दिक्कतें आ रही हैं मच्छरों का प्रकोप इतना बढ़ा हुआ है। साथ ही उन्हें अन्य कोई बीमारी की चिंता सता रही है। यहां आने वाले परिजनों को ने कहा कि अस्पताल में इतनी गन्दगी और समस्या व्याप्त है। बिना लाइट और पंखे के यहां रह पाना मुश्किल हो गया है। दैनिक दिनचर्या में भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. लाइट नहीं होने की वजह से नवजात बच्चों को काफी मच्छर के प्रकोप झेलने पड़ रहे हैं। 

40 घंटे में नहीं हो सकी वैकल्पिक व्यवस्था- 

अस्पताल में जिम्दारों को भी इस बात की जानकारी दी गई है लेकिन चौबीस घंटा बीत जाने के बावजूद भी अभी तक लाइट आने की कोई संभावना नहीं बताई जा रही है. इस सम्बन्ध में जिला मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी से भी संपर्क करने की कोशिश की गई लेकिन उनके उनसे संपर्क नहीं हो पा रहा है. जब विकासखण्ड चिकित्सा अधिकारी डॉ. सूरज राठौर से बात की गई तो उन्होंने कहा कि समस्या काफी बड़ी आ गई है और इससे निपटने के लिए मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को ध्यान देना है क्योंकि काफी वायर लगेगा। विद्युत विभाग को वैकल्पिक व्यवस्था करने के लिए भी कहा गया है। अस्पताल प्रबंधन जल्द से जल्द विद्युत व्यवस्था बहाल हो सके इसके लिए प्रयासरत है और कोशिश की जा रही है कि जल्द से जल्द यहां पर विद्युत व्यवस्था बहाल हो जाए. 

गंदगी से सराबोर अस्पताल की कब सुधरेगी व्यवस्था- 

अस्पताल का ऐसा एक भी कोना नहीं है जहां पर गंदगी न हो गंदगी के कारण यहां आने वाले मरीजों तथा उनके परिजनों का जीना मुहाल हो गया है काफी गंदगी में मच्छर पनप रहे हैं और गंदगी से जिस प्रकार बीमारी फैल रही है। ऐसा लग रहा है कि यहां परिजन भी बीमार पड़ जाएंगे सफाई व्यवस्था पूरी तरह से शून्य है।