राजमहल विवाद: धर्मेन्द्र सिंह ने गीता राणा सिंह की नागरिकता पर उठाए सवाल, कहा- वे नेपाली हैं, फिर भी बनवाएं हैं फर्जी दस्तावेज

- राजमहल विवाद पर बोले- यह हमारी विरासत है, ऐतिहासिक धरोहर हैं। राजा सुरेन्द्र बहादुर ने इसकी हिफाजत के लिए मुझे चुना
सक्ती- हरि गुजर पैलेस सक्ती क्षेत्र की ऐतिहासिक धरोहर है, यह कोई प्रॉपर्टी नहीं बल्कि सक्ती की पहचान है। मेरे पिता राजा सुरेंद्र बहादुर सिंह से ही इस क्षेत्र की पहचान जुड़ी है। इस धरोहर को सुरक्षित रखना मेरा और मेरे परिवार का कर्तव्य है। यह बात राजा धर्मेंद्र सिंह ने आयोजित एक पत्रकार वार्ता में कही।
उन्होंने 25 जून की घटना का ज़िक्र करते हुए सक्ती की जनता और पुलिस प्रशासन को धन्यवाद दिया, जिन्होंने संकट के समय पर उनके परिवार की सुरक्षा सुनिश्चित की। उन्होंने कहा, पुलिस की कार्रवाई बिल्कुल सही दिशा में है। जिनके नाम एफआईआर में दर्ज हैं, वे उस दिन मौके पर उपस्थित थे। फरार आरोपियों की शीघ्र गिरफ्तारी की मांग करता हूँ।
राजमहल केवल भवन नहीं, सक्ती की अस्मिता का प्रतीक-
राजा धर्मेंद्र सिंह ने दोहराया कि यह राजमहल सिर्फ ईंट-पत्थर की इमारत नहीं, बल्कि क्षेत्र की सांस्कृतिक अस्मिता और गौरव का प्रतीक है। इसे नष्ट करने या स्वार्थ के लिए हथियाने का प्रयास, जनता की आस्था और इतिहास से विश्वासघात है। उन्होंने जानकारी दी कि भविष्य में इस धरोहर के संरक्षण के लिए एक विस्तृत योजना तैयार की जाएगी, जिसमें समाज की सहभागिता को प्राथमिकता दी जाएगी।
गीता राणा सिंह की नागरिकता पर उठाए सवाल-
धर्मेन्द्र सिंह ने प्रेस वार्ता कर यह सवाल उठाए कि भारत में दोहरी नागरिकता नहीं होती है फिर भी उनके द्वारा नेपाली नागरिकता रहते हुए भी कई जरूरी दस्तावेजों में अपनी नागरिकता भारतीय बताई है। उन्होनें आधार कार्ड और वोटर आईडी तक बनवा लिया है। धर्मेन्द्र सिंह के अनुसार उनके द्वारा नेपाली पासपोर्ट भी बनवाया हुआ है जो 2029 तक वैलिड है। इसे लेकर पूर्व में सक्ती थाने में शिकायत भी दर्ज की गई थी। धर्मेन्द्र ने कहा कि राजा सुरेन्द्र बहादुर सिंह की शादी 1990 में हुई थी। इसके कुछ महीने बाद ही गीता राणा सिंह नेपाल चली गई उसके बाद नहीं आई। उसके बाद एकाएक कुछ वर्षों पूर्व वे भारत आ गई।