सक्ती जिला

पटवारियों की हड़ताल से राजस्व काम ठप, मांगो को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं पटवारी

सक्ती। विगत वर्षो की मांगों के निराकरण नहीं होने एवं भुइयां सॉफ्टवेयर में लगातार आ रही समस्याओं के निराकरण नही होने से राजस्व पटवारी संघ छत्तीसगढ़ के प्रांतीय आह्वान पर पूरे प्रांत के पटवारी सोमवार आठ जुलाई से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं इसी कड़ी में जिला सक्ती के समस्त पटवारी अपनी मांगों को लेकर कलेक्ट्रेट परिसर के पास हड़ताल पर बैठे हुए हैं जिससे आम जनता के राजस्व कार्य लगभग पूरी तरह से ठप हो गया है । हाल ही में राज्य शासन द्वारा राजस्व प्रकरणों के निराकरण हेतु राजस्व पखवाड़ा का आयोजन किया जा रहा है किन्तु पटवारियों के हड़ताल के कारण किसानों के जरूरी काम नही हो पा रहा है।

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किसानों के कृषि कार्य प्रारंभ हो चुके हैं ऐसे में के सी सी , जाति, निवास ,आय प्रमाण पत्र नही बन पा रहे हैं । पटवारियों को बिना संसाधन दिए पिछले 10 वर्षो से ऑनलाइन कार्य करवाने के विरोध में पटवारी संघ फिर से आंदोलित है आपको बता दें कि संसाधन जिसमे कंप्यूटर, प्रिंटर ,स्कैनर ,ऑफिस आदि की व्यवस्था शासन द्वारा अभी तक पटवारियों को नही दिया गया है साथ ही अन्य मांगों को लेकर विगत वर्ष आश्वाशन दिया गया था लेकिन आज तक उस पर शासन द्वारा अमल नहीं किया गया है जिससे प्रांत के सभी पटवारियों में भारी आक्रोश है , राजस्व पटवारी संघ जिला सक्ती के अध्यक्ष संजय गवेल द्वारा बताया गया कि पूर्व वर्ष 14 मांगों को लेकर हड़ताल किया गया था जिसमे शासन द्वारा आश्वाशन मिलने के बाद स्थगित किया गया था किंतु आज पर्यंत उन मांगों पर कोई विचार नहीं किया गया साथ ही ऑनलाइन सभी कार्य आज भुइयां सॉफ्टवेयर में किए जाते हैं लेकिन सॉफ्टवेयर में बार बार अपडेशन के नाम पर डाटा लॉस होता है जिससे किसानों के कार्य में त्रुटि होती है जिसका निराकरण नए नियमों के तहत एसडीएम कार्यालय से ही सुधार होना संभव है जिससे अनावश्यक किसानों को परेशानी का सामना करना पड़ता है , इस संदर्भ में समय समय पर शासन को अवगत करवाया जाता है लेकिन कोई पहल नही किया गया है ,बार बार भुइयां में बदलाव से राजस्व प्रकरण में बढ़ोतरी हो रही है जिसके लिए शासन द्वारा पटवारियों को जिम्मेदार ठहराया जाता है जो कि गलत है । इन सभी समस्याओं के निराकरण हेतु राजस्व पटवारी संघ छत्तीसगढ़ 32 सूत्रीय मांगो के साथ आज हड़ताल के मैदान में डटा हुआ है , पिछले सरकार के समय किए गए आंदोलन की मांगों को तत्कालीन विपक्ष द्वारा समर्थन किया गया था आज देखना यह है कि पिछला विपक्ष आज सत्ताधारी है तो पटवारियों की मांग को जायज मानते हुए पूरा किया जाता है या फिर किसानों और आम जनता की समस्याओं को दरकिनार करते हुए आंदोलन का दमन किया जाता है यह समय बताएगा ।