सक्ती विधानसभा: राठौर समाज एकजुट, कोई भी राजनैतिक पार्टी समाज के व्यक्ति को दे टिकट तो उसका मिलकर समर्थन करने का निर्णय

- ऐसे में बढ़ा भाजपा और कांग्रेस दोनों का टेंशन
- समाज को सर्वोपरि मानते हुए कहा गया राठौर समाज को मिले महत्व
सक्ती। इस विधानसभा चुनाव को लेकर राठौर समाज लामबंद हो चुका है। विधानसभा में राठौर समाज अपना प्रतिनिधित्व चाहता है। हाल ही में हुई बैठक में जो चर्चा हुई है उसके अनुसार राठौर समाज किसी भी प्रकार के समझौता करने के मूड में दिखाई नहीं दे रहा है। कोई भी राजनीतिक पार्टी यदि राठौर समाज को महत्व देती है तो पूरा समाज उसका समर्थन करेगा।

ग्राम दुरपा में आयोजित सामाजिक बैठक में केंद्रीय समाज के वर्तमान तथा पूर्व अध्यक्ष, महासचिव, पूर्व अध्यक्ष तथा कार्यकारिणी सदस्यों के साथ सामाजिक प्रमुख बंधुओं की उपस्थिति में बैठक में एकजुटता देखी गई। एकजुटता के माहौल के बीच राष्ट्रीय पार्टियों के राजनीतिक पद के सभी सामाजिक आवेदनकर्ताओं की उपस्थिति रही। कांग्रेस पार्टी से टिकट की मांग करने वाले प्रदेश कांग्रेस कमेटी में महासचिव मनहरण राठौर, जनपद पंचायत अध्यक्ष एवं कांग्रेस से ही टिकट की मांग करने वाले राजेश राठौर, भारतीय जनता पार्टी से टिकट की प्रमुख दावेदार श्रीमती उमा राजेंद्र राठौर, सुश्री आशा साव ने अपने राजनीतिक विचारों को पूरे समाज के समक्ष सहयोग की भावना के साथ रखा। इस सामाजिक बैठक की खास बात यह भी रही की सभी दावेदारों ने अपने विचार खुले मन और पूरे उत्साह के साथ रखा।

साथ ही पूरे समाज के सामने यह वादा भी किया गया कि वे सभी भविष्य में यदि इनमें से किन्हीं भी सामाजिक बंधुओं को टिकट मिलती है तो दलगत राजनीति से ऊपर उठकर उनका सहयोग पूर्ण रूप से सामाजिक निर्देश के अनुसार करेंगे। टिकट न मिल पाने की स्थिति में भी समाज के साथ रहेंगे और आगे की रणनीति के अनुसार समाज के दिशा निर्देश का पूर्ण रूपेण पालन करेंगे। अब देखना होगा की आगे क्या रणनीति बनती है और राठौर समाज का क्या रुख रहता है।

जांजगीर और सक्ती जिले में ही है बहुलता –
यदि पूरे छत्तीसगढ़ की बात की जाए तो जांजगीर चांपा एवं सक्ती जिले में ही राठौर समाज की बहुलता देखने को मिलती है। ऐसे में सक्ती विधानसभा में भी यदि समाज को महत्व नहीं मिलता है तो यह सामाजिक रूप से किसी भी राजनीतिक पार्टी के लिए सकारात्मक कदम नहीं होगा। जिसे भी विधानसभा चुनाव जीतना है उसे राठौर समाज को अपने साथ विश्वास में लेकर चलना ही होगा अन्यथा चुनाव में नुकसान उठाना पड़ सकता है।
