सक्ती क्षेत्र में पुल पर जलस्तर सीमा से ऊपर, कई गांवों का संपर्क टूटा, ग्रामीणों को भारी परेशानी

निर्माण कार्य अब तक नहीं हुआ शुरू, छात्रों और ग्रामीणों को रोजाना झेलनी पड़ रही है कठिनाइयाँ
सक्ती | जिला अंतर्गत आने वाले सकरेली कला और बोरदा गांव को जोड़ने वाला पुल इन दिनों भारी बारिश के चलते पूरी तरह जलमग्न हो गया है। नदी और नाले उफान पर हैं, जिससे पुल पर पानी की सतह सीमा रेखा से ऊपर पहुंच चुकी है। इससे होकर गुजरना न केवल जोखिम भरा हो गया है, बल्कि आवागमन भी पूरी तरह बाधित हो गया है।
इस मार्ग के बंद हो जाने के कारण बोरदा, सकरेली कला सहित आसपास के अन्य गांवों का संपर्क जिला मुख्यालय सक्ती से पूरी तरह टूट गया है। ग्रामीणों को अब सक्ती तक पहुंचने के लिए 10-15 किलोमीटर तक का अतिरिक्त चक्कर लगाना पड़ रहा है, जिससे समय, धन और श्रम की भारी बर्बादी हो रही है।
छात्रों और ग्रामीणों की सबसे बड़ी समस्या
प्रत्येक दिन इस मार्ग से आमपली, जुड़गा, सकरेली कला से सैकड़ों छात्र-छात्राएं स्कूल, कॉलेज व कोचिंग के लिए सक्ती आते हैं। इसी प्रकार शासकीय व निजी संस्थानों में कार्यरत कर्मचारी, दुकानदार व व्यापार से जुड़े ग्रामीण भी इस रास्ते से नियमित आवाजाही करते हैं। अब जब मार्ग जलमग्न हो चुका है, तो उन्हें दूसरे रास्तों से लंबे फासले तय कर आने की मजबूरी झेलनी पड़ रही है।
एक कॉलेज छात्रा ने बताया,
“हर दिन कॉलेज जाना ज़रूरी है, लेकिन अब 6 किलोमीटर की दूरी 16 किलोमीटर हो गई है। न बस चलती है, न कोई साधन मिलता है।”
पक्का पुल अब तक नहीं बन पाया, सिर्फ भूमिपूजन कर रुका मामला
ग्रामीणों का कहना है कि इस स्थान पर स्थायी और पक्का पुल निर्माण के लिए भूमिपूजन लगभग एक साल पहले हो चुका है, लेकिन आज तक एक ईंट भी नहीं रखी गई। शासन-प्रशासन की इस उदासीनता का सीधा खामियाजा सैकड़ों ग्रामीणों को हर साल भुगतना पड़ रहा है।
बोरदा गांव के एक किसान ने कहा,
“बारिश में ये पुल हर साल डूब जाता है। फसलें, बाजार, अस्पताल, सब दूर हो जाते हैं। सरकार ने वादा किया था लेकिन अभी तक कुछ हुआ नहीं।”
जनप्रतिनिधियों से नाराजगी, जल्द समाधान की मांग –
ग्रामीणों में इस बात को लेकर गहरा आक्रोश है कि जनप्रतिनिधियों ने केवल घोषणा और भूमिपूजन कर अपने कर्तव्यों की इतिश्री समझ ली है। पुल निर्माण कार्य के लिए अब तक कोई ठोस समय-सीमा तय नहीं की गई है।
ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की है कि
- आपातकालीन वैकल्पिक व्यवस्था की जाए
- पुल निर्माण को तत्काल शुरू कराया जाए
- और आगामी वर्षा ऋतु से पहले निर्माण कार्य पूर्ण किया जाए।
यह समस्या सिर्फ एक पुल के जलमग्न होने की नहीं, बल्कि पूरे क्षेत्र के सामाजिक, शैक्षणिक और आर्थिक जीवन के रुक जाने की है। यह आवश्यक हो गया है कि शासन इस ओर शीघ्र गंभीरता से ध्यान दे — नहीं तो यह छोटी सी लापरवाही किसी बड़ी दुर्घटना का कारण बन सकती है।