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पूर्व मुख्य न्यायाधीश द्वारा वेदांता पर आई वाइसरॉय रिपोर्ट की कड़ी आलोचना

सक्ति, 21 जुलाई, 2025 | भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश डॉ. डी.वाई. चंद्रचूड़ द्वारा वेदांता लिमिटेड को दी गई विस्तृत कानूनी राय के अनुसार, कंपनी द्वारा कोई अनैतिकता नहीं पाई गई है और वाइसरॉय रिपोर्ट की विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल उठाए गए हैं। कंपनी ने इस राय को शेयर बाज़ारों में भी दाखिल किया है।
20 पन्नों की इस राय में कहा गया है कि अमेरिकी शॉर्ट सेलर वाइसरॉय रिसर्च ग्रुप की हालिया रिपोर्ट निंदनीय है, इसमें विश्वसनीयता की कमी है, और इसे अवैध वित्तीय लाभ के उद्देश्य से बाजार में हेरफेर करने के लिए तैयार किया गया है। यह रिपोर्ट भारतीय न्यायशास्त्र के तहत किसी भी कानूनी जांच में खरी नहीं उतरेगी। राय में आगे कहा गया है कि वेदांता, मानहानि के मामले में संरक्षण और सुधार की मांग के लिए भारतीय अदालतों का रुख करने की सुदृढ़ स्थिति में होगी।
डॉ. चंद्रचूड़ की राय रिपोर्ट के शोधकर्ताओं और उसकी विश्वसनीयता के साथ-साथ इसके प्रकाशन के समय को लेकर गंभीर सवाल उठाती है। उन्होंने कहा कि शोधकर्ताओं की संदिग्ध साख इस रिपोर्ट की वैधता को लेकर प्रारंभिक चिंताएं बढ़ाती है। उन्होंने यह भी पाया है कि वाइसरॉय द्वारा अन्य कंपनियों के संबंध में प्रकाशित इसी तरह की रिपोर्ट के खिलाफ भारत और विश्व स्तर पर कई मुकदमे दाखिल किए गए हैं।
डॉ. चंद्रचूड़ की राय में कहा गया है कि रिपोर्ट जे प्रकाशित होने का समय रणनीतिक प्रतीत होता है और यह समूह की सकारात्मक क्रेडिट गति और पुनर्वित्त (रीफाइनेंसिंग) सफलता के साथ मेल खाता है। राय के अनुसार, रिपोर्ट के प्रकाशन को वेदांता के डी-मर्जर अभ्यास पर प्रतिकूल प्रभाव डालने के लिए समयबद्ध बताया गया है। पूर्व मुख्य न्यायाधीश ने कहा है कि विशेष रूप से इसका समय वेदांता समूह की कुछ संस्थाओं के प्रस्तावित कॉर्पोरेट डी-मर्जर के साथ मेल खाता है।
यह देखते हुए कि वाइसरॉय भड़काऊ और मानहानिकारक भाषा का उपयोग करता है, राय में कहा गया है कि शॉर्ट सेलर की रिपोर्ट में बिना किसी सत्यापन के गैर-ज़िम्मेदाराना संदर्भ और संकेत शामिल हैं। पूर्व सीजेआई ने अपनी राय में ज़ोर दिया कि ऐसी भाषा का उद्देश्य सनसनी फैलाना होता है, न कि एक निष्पक्ष और संतुलित दृष्टिकोण प्रस्तुत करना।
राय में वाइसरॉय रिपोर्ट की विश्वसनीयता की कमी के तीन मुख्य कारण बताए गए हैं। पहला, ऐसी रिपोर्ट प्रकाशित कर शॉर्ट सेलिंग से लाभ कमाने का वाइसरॉय का स्थापित ट्रैक रिकॉर्ड; दूसरा, रिपोर्ट के पीछे शोधकर्ताओं की संदिग्ध साख; और तीसरा, रिपोर्ट का प्रकाशन समय, जो वेदांता के प्रस्तावित डी-मर्जर के साथ मेल खाता है, जिससे बाज़ार में तेजी आ सकती है और शॉर्ट सेलर्स को नुकसान हो सकता है।
डॉ. चंद्रचूड़ ने वाइसरॉय द्वारा अपनाए गए एक सुसंगत तौर-तरीके को भी रेखांकित किया है। राय के अनुसार, शॉर्ट सेलर पहले लक्षित कंपनी (इस मामले में वेदांता रिसोर्सेज) के स्टॉक्स या बॉन्ड्स में शॉर्ट पोजीशन लेता है। इसके बाद, सार्वजनिक रूप से उपलब्ध जानकारी के आधार पर तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर एक तथाकथित रिसर्च रिपोर्ट प्रकाशित करता है, जिसमें कंपनी से कोई स्वतंत्र सत्यापन नहीं लिया जाता। फिर, वह उस रिपोर्ट से उत्पन्न घबराहट के कारण शेयर की कीमतों में गिरावट से लाभ अर्जित करता है।
उन्होंने कहा कि वाइसरॉय, एक ज्ञात शॉर्ट सेलर होने के नाते, शेयर की कीमतों को प्रभावित करने के लिए ऐसी बाजार-प्रभावित रिपोर्टों के प्रकाशन का एक स्थापित पैटर्न अपनाता है, जिससे उसे लक्षित इकाई को होने वाले संभावित साख संबंधी नुकसान का आभास होता है। वेदांता के मामले में भी रिपोर्ट में किए गए दावों ने कंपनी की कॉर्पोरेट विश्वसनीयता को नुकसान पहुंचाने का प्रयास किया है।
डॉ. चंद्रचूड़ ने कहा कि इस बात का कोई प्रमाण नहीं है कि यह रिपोर्ट सार्वजनिक हित से प्रेरित थी। इसके विपरीत, यह रिपोर्ट स्पष्ट रूप से बाजार में हेरफेर के उद्देश्य से तैयार की गई प्रतीत होती है। उन्होंने आगे कहा कि वेदांता, संगठन और उसके खिलाफ रिपोर्ट तैयार करने वाले शोधकर्ताओं — दोनों के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई करने के अधिकार में है।
डॉ. चंद्रचूड़ की राय में कहा गया है कि भारतीय कंपनियाँ, विशेष रूप से सूचीबद्ध संस्थाएँ, एक सख्त नियामक ढांचे के अंतर्गत कार्य करती हैं, जिसका उद्देश्य न केवल कदाचार को रोकना है, बल्कि नैतिक और उत्तरदायी व्यापारिक आचरण को बढ़ावा देना भी है। इस सुव्यवस्थित प्रणाली के बावजूद, वाइसरॉय जैसी दुर्भावनापूर्ण और भ्रामक रिपोर्टें वेदांता जैसी विनियमित कंपनियों को अनुशासनहीन रूप में प्रस्तुत कर भारत की कॉर्पोरेट प्रशासन प्रणाली पर प्रश्नचिन्ह लगाती हैं। इस प्रकार के प्रयास न केवल कंपनियों की साख को नुकसान पहुंचाते हैं, बल्कि भारत की नियामक संस्थाओं की प्रतिष्ठा और बाज़ार में वैश्विक विश्वास को भी कमजोर करते हैं।
निष्कर्षतः, डॉ. चंद्रचूड़ ने रेखांकित किया कि वेदांता एक सूचीबद्ध संस्था के रूप में एक मजबूत और बहु-स्तरीय नियामकीय ढांचे के अंतर्गत कार्य कर रही है और आज तक किसी भी नियामक या क्रेडिट रेटिंग एजेंसी से कोई प्रतिकूल निष्कर्ष सामने नहीं आया है। उन्होंने कहा कि वेदांता के अनुसार उसके प्रकटीकरण (डिस्क्लोज़र), सभी लागू कानूनों और नियामकीय फाइलिंग आवश्यकताओं के अनुरूप किए गए हैं। सत्यापित साक्ष्यों की अनुपस्थिति और इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि रिपोर्ट में अधिकांश जानकारी सार्वजनिक स्रोतों से प्राप्त है, यह रिपोर्ट किसी भी संभावित नियामकीय कार्रवाई, जिसमें जांच भी शामिल है, के लिए कोई विश्वसनीय आधार नहीं प्रस्तुत करती।
वाइसरॉय रिपोर्ट के बावजूद, जेपी मॉर्गन, बैंक ऑफ अमेरिका और बार्कलेज जैसी वैश्विक ब्रोकरेज संस्थाओं ने वेदांता समूह की संस्थाओं पर अपनी सकारात्मक रेटिंग बनाए रखी है, जिसमें बेहतर क्रेडिट प्रोफाइल (ऋण प्रोफाइल) और आकर्षक वैल्यूएशन (मूल्यांकन) का उल्लेख किया गया है। रेटिंग एजेंसियाँ क्रिसिल और ICRA ने वेदांता की क्रेडिट रेटिंग की पुष्टि की है। क्रिसिल ने वेदांता को AA रेटिंग और हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड को AAA रेटिंग दी है, जबकि इकरा (ICRA) ने वेदांता की रेटिंग AA पर बनाए रखी है।

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