गीता राणा के विवादित बयान पर आदिवासी समाज का फूटा गुस्सा, आदिवासी समाज ने कही करवाई की मांग नहीं तो उग्र आंदोलन, धरना की चेतावनी

सक्ती। विगत दिनों गीता राणा सिंह ने एक पत्रकार के सवाल – सक्ती क्षेत्र को गोढ़ राजाओं का क्षेत्र माना गया है और आप एक आदिवासी को कह रहे हैं की वो जूता चप्पल साफ़ करने वाला है ।क्या यह उचित है ?
जिसका जवाब गीता राणा ने कहा कि
बिल्कुल उचित है आदिवासी हो या जो वासी हो जिसका जो काम है वो वह काम करेगा। इस बयान पर आदिवासी समाज का फूटा गुस्सा उन्होंने कहा कि समाज के प्रति ऐसा बयान देना अशोभनीय है,आदिवासी को ऐसे बोलने का हक गीता राणा को नहीं है जो ख़ुद सामान्य वर्ग से आती और नेपाली मूल की है । इनको आदिवासियों के खिलाफ बोलने का कोई अधिकार नहीं है । नेपाली मूल के नागरिक को भारत के मूल निवासी के बारे में बोलने का कोई अधिकार नहीं है । छत्तीसगढ़ के मूल निवासी आदिवासी ,छत्तीसगढ़ के मालिक आदिवासी है किसी के नौकर नहीं जो दूसरे देश से आके आपने आपको मालिक समझते है उनके गलत फहमी को दूर कर दिया जाएगा ।आदिवासी इस पर चुप नहीं रहेगा ,आदिवासी समाज ने शासन प्रशासन से सख़्त करवाई की माँग की है अगर करवाई नहीं होगी तो उग्र आंदोलन होगा ।समाज का अपमान नहीं सहेंगे । आदिवासी समाज सब संघटित है ,मान सम्मान वाले है,सीधा भोले भाले है,ग़लत कभी नहीं बोलते है ।जो गीता राणा ने बोला है वह गलत है इस पर ततकाल करवाई हो ।आदिवासी समाज से रति सिदार,राम सिंह सभापति गोंड समाज ,सीता राम,बसंत गोंड,भूपेंद्र सिंह,बोधि सिदार आदि ने अपना आक्रोश जाहिर किया और सक्ती जिले के हर जगह से और प्रदेश से नाराजगी देखने को मिल रही है ।