सक्ती: दल बदल के खेल से किसे कितना मिलेगा फायदा? विधानसभा चुनाव को चंद महीनों का समय शेष

– भाजपा के पूर्व मण्डल अध्यक्ष भवानी ने थाम लिया कांग्रेस का हाथ, भाजपा के स्थानीय संगठन को लिया आड़े हाथों
– कांग्रेस भी सब कुछ ठीक नहीं, कुछ जमीनी स्तर के नेताओं की नाराजगी की खबर
सक्ती– चुनावी वर्ष में भाजपा को लगातार झटके मिल रहे हैं। कुछ माह पहले भाजपा नेता पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष नरेश गेवाडीन ने भाजपा से कांग्रेस प्रवेश किया था इसके बाद अब भाजपा के पूर्व नगर मण्डल अध्यक्ष भवानी प्रसाद तिवारी ने अपने कार्यकर्ताओं के साथ भाजपा छोड़ कांग्रेस का दामन थाम लिया है। विगत दिनों विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष उन्होनें कांग्रेस की सदस्यता लेकर स्थानीय राजनीति में फिर से इस बाद की चर्चा छेड़ दी की इस बार क्या भाजपा मजबूती से चुनाव लड़ पाएगी? हालांकि विश्वस्त सूत्रों की माने तो भले की कांग्रेस भाजपाईयों को अपने पाले में लेकर खुश होती हो लेकिन कांग्रेस के भी अंदरखाने में सब कुछ ठीक चलते हुए नजर नहीं आ रहा है। कांग्रेस के भी जमीनी पकड़ रखने वाले नेता नाराज नजर आ रहे हैं। विश्वस्त सूत्रों के अनुसार उनकी नाराजगी कहीं कांग्रेस को भी भारी न पड़ जाए। बहरहाल कांग्रेस भाजपा के कुछ नेताओं को अपने पाले में लाकर अपने आप को मजबूत होने का अहसास कर रही। खैर आने वाले समय में ही इस बात का पता चलेगा कि वास्तव में इसका लाभ भाजपा को मिला या कांग्रेस को। कुछ माह पहले कांग्रेस के कुछ नेताओं व कार्यकर्ताओं ने भी भाजपा प्रवेश किया था।

विधानसभा चुनाव को कुछ माह शेष, नेताओं की सक्रियता प्रारंभ-
इस साल दिसंबरके महीने में विधानसभा चुनाव संपन्न होने हैं और इसमें केवल कुछ माह का समय ही शेष रह गया है। इसके लिए दोनों दलों के नेताओं के द्वारा खूब दौरे भी किए जा रहे हैं। विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत भी क्षेत्र में काफी दौरे कर रहे हैं तो भाजपा में भी बैठकों और संगठन सहित वे सभी संभावित चेहरे जो टिकट की दौर में हैं खूब दौरा कर रहे है और गांव गांव में होने वाले कार्यक्रमों में मंच पर नजर आ रहे हैं। कई बार इस बात की जनचर्चा होती है कि विधानसभा अध्यक्ष डॉ चरणदास महंत चुनाव लड़ेंगे या फिर अपने किसी करीबी को मैदान में उतारेंगे खैर समय जैसे नजदीक आयेगा स्थिति और अधिक स्पष्ट होगी। भाजपा भी इस बार पूरे दमखम से चुनाव लड़ने में कोई कसर तो नहीं छोड़ेगी लेकिन यह निर्भर करता है कि मैदान में किसे उतारा जाता है।
कांग्रेस में स्पष्ट रूप से दिख रहे दो गुट–
कांग्रेस के लिए इस साल कोई राहत भरी खबर नहीं है। विधानसभा चुनाव को कुछ महीनें शेष हैं। पूर्व कांग्रेसी नेता देवेंन्द्र नाथ अग्निहोत्री और जनपद पंचायत सदस्य, राजा सुरेंद्र बहादुर सिंह के पुत्र धर्मेन्द्र सिंह खुले रूप से विधानसभा अध्यक्ष के खिलाफ बिगुल फूंक चुके हैं। जनपद स्तर पर प्रत्येक गांव में जाकर लोगों को सही नेता नहीं चुने जाने की बात कहकर विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदस महंत पर कई आरोप लगाए जा रहे थे। अंदरखाने से खबर आ रही है कि डॉ. चरणदास महंत के एक और करीबी नेता नाराज है। यदि यह बात सही है तो इसका असर भी देखने को मिल सकता है।

क्या मिलेगा जिला बनाने का लाभ-
9 सितंबर 2023 को सक्ती जिला अस्तित्व में आ गया था। इसका पूरा श्रेय विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत को गया। लेकिन कार्यालयों के जेठा में स्थापना को लेकर लोगों ने फिर विरोध का झण्डा उठा लिया। नगर बद नगर बंद जैसे आयोजन हुए। लोगों ने मांग की कि सक्ती को मुख्यालय बनाया जाए। तमाम विरोधों के बावजूद ऐसा नहीं हुआ। अब देखना होगा कि जिला बनाए जाने का लाभ कांग्रेस कितना उठा पाती है। हालांकि भाजपा ने सक्ती को जिला बनाने को लेकर हमेशा छला है। पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने कई बार आश्वासन दिया, सपने दिखाए लेकिन वादा कांग्रेस की सरकार ने पूरा किया।
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भाजपा में मेहनतकश कार्यकर्ताओं की कोई पूछ परख नहीं है। बाहरी और चाटुकार लोगों की अधिक सुनी जा रही है। यही कारण है कि भाजपा के प्रति समर्पित रहने के बाद भी स्थानीय संगठन के नेताओं की कार्यशैली से निराश होकर हमें भाजपा छोड़कर कांग्रेस का दामन थामना पड़ा है। विधानसभा अध्यक्ष लगातार बेहतर काम कर रहे हैं।
भवानी प्रसाद तिवारी
(भाजपा छोड़कर कांग्रेस प्रवेश करने वाले नेता)
भाजपा के पूर्व मण्डल अध्यक्ष
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