कौन हैं कर्नल अंशु जामवाल, जो बनीं एयर डिफेंस यूनिट की कमान संभालने वाली पहली महिला अफसर

Colonel Anshu Jamwal: जम्मू कश्मीर की कर्नल अंशु जामवाल 17 जुलाई को भारतीय सेना की एक ऑपरेशनल एयर डिफेंस यूनिट (वायु रक्षा यूनिट) की कमान संभालने वाली पहली महिला सेना अधिकारी बनाई गई हैं। महिला सशक्तिकरण को नई ऊंचाइयों पर ले जाने वाली कर्नल अंशु जामवाल की ये कहानी सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है।
जम्मू के राह्या गांव की रहने वाली कर्नल अंशु जामवाल को 18 मार्च 2006 को ऑफिसर्स ट्रेनिंग अकादमी चेन्नई से कमीशन मिला था। उसके बाद से लेकर आजतक उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा।
आइए जानें कौन हैं कर्नल अंशु जामवाल?
कर्नल अंशु जामवाल वर्तमान में एयर डिफेंस रेजिमेंट की कमान संभाल रही हैं। ऐसा करने वालीं वो, भारत की पहली महिला हैं।कर्नल अंशु जामवाल की जम्मू के राह्या गांव की रहने वाली हैं। कर्नल अंशु जामवाल ने जीसीडब्ल्यू गांधीनगर जम्मू से ग्रेजुएट हैं।
कर्नल अंशू जामवाल को 18 मार्च 2006 को ऑफिसर्स ट्रेनिंग अकादमी चेन्नई से कमीशन मिला था। उन्होंने ओटीए चेन्नई और एडी कॉलेज में प्रशिक्षक के रूप में काम किया है।
कर्नल अंशू जामवाल ने संयुक्त राष्ट्र शांति सेना के साथ मोनूस्को में मिलिटरी पर्यवेक्षक के रूप में भी काम किया है। भारत लौटने पर उन्हें सेना मुख्यालय में तैनात किया गया और अब उन्हें भारतीय सेना की एक ऑपरेशनल एयर डिफेंस रेजिमेंट की कमान संभालने की जिम्मेदारी दी गई है।
Colonel Anshu Jamwal Family: कर्नल अंशू जामवाल के पिता ने इस उपलब्धि पर क्या कहा?
कर्नल अंशु जामवाल के पिता बीर सिंह जामवाल ने अपनी बेटी की उपलब्धि पर खुशी जताई है। बीर सिंह जामवाल ने कहा, ”हमें खुशी है कि हमारी बेटी एयर डिफेंस रेजिमेंट की कमान संभालेगी और वह ऐसा करने वाली पहली महिला अधिकारी बन गई है।”
बीर सिंह जामवाल ने कहा कि वे उस अवसर पर मौजूद थे जब उनकी बेटी ने यूनिट की कमान संभाली। बीर सिंह जामवाल ने कहा कि उनकी बेटी हमेशा कुछ अलग करना चाहती थी। पिता ने बताया कि हालांकि परिवार अंशु को शिक्षा के क्षेत्र में करियर बनाने पर जोर दे रहा था।
बीर सिंह जामवाल कहा, “शुरू में हम चाहते थे कि अंशु एक शिक्षिका बने, लेकिन वह कुछ अलग करना चाहती थी। मैंने उसका समर्थन करने का फैसला किया। हम दोनों मिलकर गांधी मेमोरियल डिग्री कॉलेज जम्मू में दौड़ते थे और मैं कॉलेज के आसपास उसकी दौड़ों की गिनती करता था।”
बीर सिंह ने कहा कि उन्हें यह बताते हुए गर्व महसूस होता है कि उनकी बेटी ने लेह सहित कठिन क्षेत्रों में देश के लिए काम किया है।