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नारी: शक्ति, संवेदना और समाज की रीढ़, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता श्रीमती सीता धीवर ने महिला दिवस के उपलक्ष्य में रखे अपने विचार

सक्ती। हर साल 8 मार्च को पूरी दुनिया में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है। यह दिन महिलाओं की सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक उपलब्धियों को पहचानने और उनके अधिकारों के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए समर्पित है।

आज की महिला सिर्फ घर की चारदीवारी तक सीमित नहीं है, बल्कि वह हर क्षेत्र में अपनी काबिलियत साबित कर रही है। शिक्षिका, डॉक्टर, वैज्ञानिक, नेता, सैनिक और उद्यमी के रूप में महिलाओं ने अपनी जगह बनाई है। लेकिन, ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं की भूमिका और भी महत्वपूर्ण होती है। एक माँ, एक बहन, एक बेटी होने के साथ-साथ वह समाज को संवारने वाली नींव भी होती है।

मैं, सीता धीवर, एक आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के रूप में, समाज में महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य, पोषण और शिक्षा से जुड़े मुद्दों पर कार्य करती हूँ। मुझे यह देखकर गर्व होता है कि आज की महिलाएँ आत्मनिर्भर बन रही हैं। वे अपने स्वास्थ्य, शिक्षा और आर्थिक सशक्तिकरण के प्रति जागरूक हो रही हैं।

महिला सशक्तिकरण की ओर बढ़ते कदम


महिला दिवस केवल एक उत्सव नहीं, बल्कि एक संकल्प का दिन भी है। हमें यह संकल्प लेना होगा कि –

  1. बेटियों को समान अवसर मिले – शिक्षा और रोजगार के क्षेत्र में लड़कियों को बराबरी का हक मिले।
  2. महिला स्वास्थ्य और पोषण पर जोर दिया जाए – कुपोषण, मातृ मृत्यु दर और एनीमिया जैसी समस्याओं को खत्म करने के लिए उचित कदम उठाए जाएं।
  3. महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाया जाए – उन्हें स्वयं सहायता समूह, सरकारी योजनाओं और कौशल विकास कार्यक्रमों से जोड़कर सशक्त किया जाए।
  4. घरेलू हिंसा और भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाएं – महिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करें और उनके साथ खड़े हों।

आज की महिलाएँ किसी से कम नहीं हैं। जरूरत है उन्हें सही अवसर और समर्थन देने की। हम सब मिलकर एक ऐसे समाज का निर्माण करें, जहाँ महिलाओं को समानता, सुरक्षा और सम्मान मिले।

इस महिला दिवस पर हम यह प्रण लें कि “जहाँ नारी का सम्मान होगा, वहीं समाज का उत्थान होगा!”