
सक्ती, 24 जुलाई 2025 // छत्तीसगढ़ की पारंपरिक संस्कृति और प्रकृति प्रेम का प्रतीक हरेली त्यौहार इस बार जिले में धूमधाम और उमंग के साथ मनाया गया। खास बात यह रही कि त्यौहार के दिन बदरा (बादल) भी मेहरबान रहे और जमकर बारिश हुई, जिससे ग्रामीण अंचलों में खुशहाली और उत्सव का माहौल दोगुना हो गया।
हरेली पर्व पर गांवों में कृषि औजारों की पूजा, गायों की सजावट, और नरवा-गरवा-घुरवा-बाड़ी योजना की झलक हर ओर नजर आई। किसान भाई-बहनों ने अपने खेतों की हरियाली को और अधिक समर्पण से निहारा, जबकि बच्चों और युवाओं ने पारंपरिक खेलों जैसे गेड़ी चढ़ना, भौंरा, कबड्डी आदि में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया।
बदरा की इस रिमझिम वर्षा ने त्यौहार में प्रकृति का अनुपम उपहार जोड़ दिया। लोगों ने कहा कि “हरेली में बरसात होना शुभ संकेत है, यह आने वाले अच्छे फसल वर्ष की निशानी है।”
हरेली पर्व ने एक बार फिर यह साबित किया कि छत्तीसगढ़ की संस्कृति, प्रकृति और किसान जीवनशैली आज भी गहराई से जुड़ी हुई हैं।