तुर्रीधाम में सावन की तीसरी सोमवार को उमड़ा आस्था का सैलाब, प्राचीन शिवधाम में रातभर गूंजते रहे ‘हर-हर महादेव’, उड़ीसा सहित दूर-दराज से पहुंचे श्रद्धालु

सक्ती। सावन माह के तीसरे सोमवार को सक्ती विधानसभा क्षेत्र स्थित प्राचीन और प्रसिद्ध तुर्रीधाम शिव मंदिर में श्रद्धालुओं की अपार भीड़ उमड़ पड़ी। रातभर मंदिर प्रांगण शिवभक्तों से खचाखच भरा रहा, ‘हर-हर महादेव’ के जयघोष से पूरा परिसर गुंजायमान हो गया।
मंदिर का ऐतिहासिक महत्व:
तुर्रीधाम, छत्तीसगढ़ के सक्ती जिला मुख्यालय अंतर्गत स्थित एक अत्यंत पूजनीय शिवधाम है। जनश्रुतियों के अनुसार यह मंदिर सैकड़ों वर्षों पुराना है और स्थानीय लोगों की आस्था का केंद्र रहा है। कहा जाता है कि इस स्थान पर भगवान शिव की स्थापना शिव लिंग के रूप में हुई थी। अनवरत जल की धारा से प्रकृति स्वयं जलाभिषेक करती है। यहाँ प्रतिवर्ष सावन में विशेष रूप से भीड़ बढ़ जाती है, लेकिन शनिवार और सोमवार को तो श्रद्धालु हजारों की संख्या में उमड़ते हैं।

भक्ति में डूबे श्रद्धालु:
रविवार की शाम से ही मंदिर में भक्तों का आना शुरू हो गया था, जो पूरी रात चलता रहा। दूर-दराज से आए श्रद्धालु भक्ति गीत, आरती और शिव-पाठ में डूबे रहे। मंदिर में विशेष श्रृंगार और रात्रिकालीन महाआरती का आयोजन किया गया, जिसे देखने बड़ी संख्या में महिलाएं, युवा और वृद्ध पहुंचे।
उड़ीसा से विशेष भीड़, रेलवे स्टेशन पर रहा दबाव:
तुर्रीधाम की ख्याति अब सीमावर्ती राज्यों तक पहुंच चुकी है। शनिवार को उड़ीसा के संबलपुर, झारसुगुड़ा, बरगढ़, सुंदरगढ़ आदि क्षेत्रों से भारी संख्या में भक्त पहुंचे। सक्ती रेलवे स्टेशन में देर रात तक भीड़ देखी गई, वहीं ट्रेनों और ऑटो-वाहनों में भी खासी चहल-पहल रही।
सेवा भाव में लगे श्रद्धालु, जगह-जगह भंडारा:
शिवभक्तों की सेवा के लिए मंदिर परिसर के आसपास अनेक सामाजिक संगठनों और स्थानीय युवाओं द्वारा भंडारे का आयोजन किया गया। कहीं खिचड़ी, कहीं पूरी-सब्जी तो कहीं ठंडे जल व शरबत की व्यवस्था की गई। कई श्रद्धालु स्वेच्छा से सेवा कार्यों में लगे रहे।
व्यवस्था सराहनीय, पुलिस और स्वयंसेवक मुस्तैद:
प्रशासन और स्वयंसेवकों ने मिलकर भीड़ नियंत्रण और दर्शन की व्यवस्था को कुशलता से संभाला। मंदिर समिति द्वारा पंक्तिबद्ध दर्शन की व्यवस्था, साफ-सफाई और प्रकाश की व्यवस्था अच्छी रही, जिसे श्रद्धालुओं ने सराहा।