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गांव वालों को डर कहीं रात में न हो जाए फाटक बंद करने की कार्रवाई इसलिए रात भर जाग रहे हैं सैकड़ों ग्रामवासी

सकरेली(बा)/अमन तंबोली – रेलवे समपार बंद न हो जाए इसलिए सैंकड़ों ग्रामवासी हर रात रतजगा कर रहे हैं। आगामी 1 अप्रैल से फाटक बंद करने के आदेश के बाद से गांव वालों ने मोर्चा खोल दिया है और वे अब किसी भी कीमत पर फाटक को बंद नहीं होने देना चाहते। गांव वालों की मांग है कि रेलवे प्रशासन पहले गांव वालों की सुविधा के लिए अण्डर ब्रिज का निर्माण करा दे उसके बाद ही फाटक को बंद करने का निर्णय लें। गांव वालों को इस बात का भय सता रहा है कि रेलवे कहीं अर्धरात्रि को फाटक को पूर्ण रूप से बंद न कर दे इसलिए वे रात भर जग रहे हैं। रात में जगने वाले ग्रामीणों ने बताया कि 28 फरवरी की अर्धरात्रि को मेनटेनेंस के नाम पर रेलवे के द्वारा कुछ जेसीबी मशीन व वर्कर भेजे थे जिन्हें विरोध के बाद बैरंग लौटना पड़ गया था। ग्रामीणों का कहना है कि वे अप लाइन की मरम्मत करने आए हैं लेकिन डामर और कुछ अन्य वस्तु नहीं होने और उसी प्रकार छोड़ने की बात उनके द्वारा कही जा रही थी जिसका रात में ही जमकर विरोध हुआ।

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अब रेलवे के द्वारा आदेश जारी किया गया है कि आगामी 1 अप्रैल से फाटक स्थाई रूप से बंद हो जाएगा। ग्रामीणों ने रेलवे को पत्र लिखकर समस्या बताते हुए कहा कि ऐसा करने से गांव के लोगों की समस्या बढ़ जाएगी और गांव के लोगों को अपने अनिवार्य कार्यों के लिए नवनिर्मित ओव्हर ब्रिज से आना जाना पड़ेगा जिसे गांव और लाइन उस पार की दूरी लगभग 3 किलोमीटर बढ़ जाएगी। गांव वालों का कहना है कि अण्डर ब्रिज बनाकर सुविधा मुहैया कराया जाएग ताकि गांव की महिलाओं और बुजुर्गों सहित किसानों को किसी प्रकार की दिक्कत न हो। गांव के बंशीधर खाण्डे ने बताया कि हमें ओव्हर ब्रिज बनने से कोई दिक्कत नहीं है लेकिन गांव वालों के लिए अण्डर ब्रिज का निर्माण रेलवे को करना होगा। फाटक बंद होने के फरमान से गांव वालों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा।

2019 से हो रही है अण्डर ब्रिज बनाने की मांग लेकिन रेलवे का नहीं गया ध्यान-

जब से आरओबी का निर्माण कार्य प्रारंभ हुआ तब से सकरेली गांव के लोगों को इस बात का अंदाजा था कि रेलवे फाटक को बंद कर देगा। इस बात को दृष्टिगत रखते हुए गांव के वरिष्ठ नागरिक संघ के तत्वाधान में 24 जनवरी 2019 को एस.एस.ई बाराद्वार को पत्र लिखकर मांग की गई थी कि गांव वालों की सुविधा को देखते हुए अण्डर ब्रिज बनाने की मांग की गई थी। लेकिन इस ओर रेलवे ने ध्यान नहीं दिया। आज जब आरओबी प्रारंभ हो चुका है तो ग्रामीणों की समस्या एक बार फिर मुखर हो गई है।